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Whatsapp Group से नेक काम, ऐसे बना जरूरतमंदों का मददगार

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By – राजेश खण्डेलवाल
01 January 2025

आज हर कोई किसी ना किसी वाट्सएप ग्रुप (Whatsapp Group) से जुड़ा है। वाट्सएप ग्रुपों (Whatsapp Groups) में ज्यादातर गुड मॉर्निंग, गुड इवनिंग के संदेश या फिर किसी देवी-देवता के चित्र ही इधर से उधर भेजे जाते हैं, लेकिन भरतपुर में एक ऐसा वाट्सएप ग्रुप (Whatsapp Group) संचालित है, जो नेक काम कर रहा है और हर समय जरूरतमंदों का मददगार बना है। भरतपुर बीट्स के नाम से संचालित वाट्सएप ग्रुप (Whatsapp Group) अब विधिवत पंजीकृत होकर भरतपुर बीट्स सोसायटी बन चुका है, लेकिन पूरा कामकाज आज भी वाट्सएप ग्रुप (Whatsapp Group) के जरिए ही संचालित है। ग्रुप में मिलने वाले हर संदेश को मैम्बर्स ध्यान से देखते हैं और संबंधित काम को पूरा करने को आतुर भी रहते हैं।
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मानव सेवा में जुटा भरतपुर बीट्स

भरतपुर (राजस्थान)। मैं अभी तक 50 से अधिक बार रक्तदान कर चुका हूं। रक्तदान करना मुझे अच्छा लगता है। इससे मेरा स्वास्थ्य भी सही रहता है। वाट्सएप ग्रुप (Whatsapp Group) पर जैसे ही रक्तदान की जरूरत का संदेश मिलता है तो हर संभव कोशिश करता हूं, वहां पहुंचने की ताकि जरूरतमंद की मदद के लिए रक्तदान कर सकूं। पहली बार जरूरत पडऩे पर एक मित्र के पिता के लिए रक्त दिया था। उसके बाद एक-दो बार और जरूरतमंदों को रक्त दिया तो फिर रक्तदान करने का सिलसिला बन गया, जो अब भी जारी है। भरतपुर के 43 वर्षीय युवा दिलीप खण्डेलवाल ने पॉजिटिव कनेक्ट को ऐसा बताया।
दिलीप बताते हैं, पहली बार जब रक्तदान किया, उस समय जरूर आशंका के साथ थोड़ा डर लगा, लेकिन अब ना डर लगता है और ना किसी तरह की आशंका। वर्ष 2000 से सतत रक्तदान कर रहे दिलीप बातचीत में पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं, रक्तदान करने से मुझे कोई दिक्कत नहीं है। भरतपुर बीट्स (Bharatpur Beats) के हर शिविर में रक्तदान करता हूं। बीट्स का काम शानदार है। टीम भावना से हर बार टारगेट पूरा हो रहा है।

भरतपुर के आरबीएम हॉस्पीटल के ब्लड बैंक की काउन्सलर संजू बाला शर्मा पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं कि रक्तदान के क्षेत्र में भरतपुर बीट्स की सेवा उल्लेखनीय है। बीट्स का ब्लड बैंक को भरपूर सहयोग मिलता है। आधी रात को भी जरूरत पडऩे पर रक्त उपलब्ध हो जाता है। संजू बाला बताती हैं कि भरतपुर बीट्स में हर ब्लड ग्रुप के मैम्बर्स हैं और इनका हर मैम्बर रक्तदान करने को उत्सुक रहता है। भरतपुर बीट्स हर साल कुछ अंतराल के बाद शिविर लगता है, जो अच्छी बात है। क्योंकि एक निश्चित अवधि के बाद रक्त बेकार हो जाता है। बीट्स के सहयोग से सैंकड़ों जरूरतमंदों की जान बची है।

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रक्तदान के संग अन्य सामाजिक सरोकार भी

भरतपुर बीट्स आज भले ही रक्तदान के लिए अपनी पहचान रखता हो पर बीट्स शहर की बेहतरी के लिए भी प्रयास करता रहता है। भरतपुर बीट्स के अध्यक्ष मनीष मेहरा बताते हैं कि वर्ष 2018 में एक मित्र के परिजन की मृत्यु हुई तो अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कुम्हेर गेट मोक्षधाम जाना हुआ, जहां की बदहाली देखी नहीं गई। सभी ने विचार बनाया और 5-6 लाख रुपए खर्च कर मोक्षधाम का जीर्णोद्धार कराया। इतना ही नहीं, कोरोना काल में बेसहारा जानवरों के लिए भोजन की व्यवस्था की। शहर में निकलने वाली शोभायात्राओं का स्वागत कर उत्साह बढ़ाया। मनसा देवी रोड पर वॉक विद प्राइड के तहत सौन्दर्यीकरण कराया। वर्ष 2025 में भी शहर में कुछ अच्छा करने पर विचार चल रहा है।

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कोरोना में कराया 100 यूनिट रक्त संग्रह

पॉजिटिव कनेक्ट से चर्चा के दौरान भरतपुर बीट्स के अध्यक्ष मनीष मेहरा बताते हैं, कोरोना काल में जब लोग एक-दूसरे से मिल नहीं पा रहे थे। तब भरतपुर बीट्स ने उस प्रतिकूल समय में भी मानवता के साथ मरीजों के हित को ध्यान में रखते हुए करीब 100 यूनिट रक्त संग्रह कराया था। इसके लिए भरतपुर के आरबीएम अस्पताल की विशेष वैन को मनसा देवी मंदिर के पास खड़ा कराया, जहां बीट्स से जुड़े रक्तदाता एक-एक करके पहुंचे और रक्तदान किया। नतीजन, भरतपुर में किसी भी कोरोना पीडि़त की जान खून की कमी के कारण नहीं गई। आरबीएम अस्पताल की ब्लड बैंक की काउन्सलर संजू बाला शर्मा का भी ऐसा मानना है।

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ऐसे शुरू हुए रक्तदान शिविर

भरतपुर बीट्स के अध्यक्ष मनीष मेहरा बताते हैं कि भरतपुर में पहले कई संगठन रक्तदान शिविर लगाते थे, लेकिन धीरे-धीरे रक्तदान शिविर कम लगने लगे तो भरतपुर के आरबीएम अस्पताल की ब्लड बैंक में रक्त कम पडऩे लगा। भरतपुर बीट्स उन दिनों सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय था, तब आरबीएम अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक विष्णु शर्मा ने बीट्स के मैम्बर्स को रक्तदान शिविर लगाने के लिए प्रेरित किया। उनका सुझाव अच्छा लगा और बीट्स के सभी सदस्य सहर्ष तैयार हो गए। भरतपुर आरबीएम अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक विष्णु शर्मा पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं, मैं अस्पताल में पीडि़तों को रक्त के लिए भटकते देखता तो दिल दु:खता था। रक्त किसी फैक्ट्री में नहीं बनता, जहां से खरीदा जा सके। यह मानव से मिलता है और मानव के ही काम आता है, तभी तो रक्तदान को महादान बताया गया है। वे बताते हैं कि, अब यह देखकर खुशी होती है कि भरतपुर बीट्स का रक्तदान शिविर लगाने का सिलसिला सतत जारी है। मैं खुद भी बीट्स के हर शिविर में रक्तदान करता हूं। शर्मा गर्व के साथ बताते हैं कि बीट्स के रक्तदान शिविर में युवा ही नहीं, अब महिला रक्तदाताओं की संख्या भी हर साल बढ़ रही हैं। इतना ही नहीं, दंपती (पति-पत्नी) भी रक्तदान करने पहुंचने लगे हैं। खुशी तब और बढ़ जाती है, जब शिविर के दिन पूरा बाजार लगभग बंद नजर आता है।

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खुद ने तोड़ा खुद का रिकॉर्ड

भरतपुर बीट्स ने रक्तदान शिविर लगाने की पहल वर्ष 2019 में 4 जनवरी को पहली बार की, जिसमें 104 यूनिट रक्त एकत्र हुआ। इसके बाद अभी तक भरतपुर बीट्स 13 शिविर लगा चुका है। भरतपुर बीट्स हर बार अपना लक्ष्य तय करता है और फिर लक्ष्य से अधिक यूनिट रक्त का संग्रहण होता है। इस तरह भरतपुर बीट्स हर शिविर में रक्त संग्रह का रिकॉर्ड बनाता है और खुद ही अगले शिविर में उस रिकॉर्ड को तोडकऱ नया रिकॉर्ड बना लेता है।

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अभी तक लगाए शिविर

तिथि                                                                  एकत्र रक्त
                                                                           (यूनिट में)

4 जनवरी, 2019                                              104
14 जून, 2019                                                   121
26 जनवरी, 2020                                           155
2 अक्टूबर, 2020                                             175
26 जनवरी, 2021                                            181
2 अक्टूबर, 2021                                             185
26 जनवरी, 2022                                           321
14 जून, 2022                                                  355
2 अक्टूबर, 2022                                             511
10 जनवरी, 2023                                            601
13 जून, 2023                                                  666
9 जनवरी, 2024                                             888
11 जून, 2024                                                 1081

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वाट्सएप ग्रुप से संस्था बनने का रोचक सफर

भरतपुर बीट्स की शुरूआत महज कुछ दोस्तों ने वाट्सग्रुप बनाकर की थी, जो अब विधिवत पंजीकृत संस्था बन चुकी है। भरतपुर बीट्स के मौजूदा अध्यक्ष मनीष मेहरा बताते हैं कि भरतपुर बीट्स के संस्थापक पिकागो गर्ग हैं। उन्होंने ही वाट्सएप ग्रुप बनाकर इसकी पहल की थी। सोसायटी का विधिवत पंजीयन वर्ष 2023 में कराया है, जिसकी अब 21 सदस्यीय कार्यकारिणी है। सोसायटी के मैम्बर्स की संख्या 271 है। सोसायटी संचालन के लिए हर मैम्बर सालाना 4 हजार रुपए का अंशदान करता है।

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नहीं पूछते रक्त लेने का कारण

भरतपुर बीट्स के अध्यक्ष मनीष मेहरा पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि हम किसी भी जरूरतमंद से रक्त लेने का कारण नहीं पूछते। जरूरतमंद को रक्त उपलब्ध कराना ही हमारा मूल धर्म है। अगर किसी जरूरतमंद को पुन: रक्त की जरूरत होती है, तब भी उससे किसी तरह का सवाल नहीं पूछा जाता है। कुछ लोगों के इस आशय के फोन अवश्य आते हैं कि समय पर रक्त मिलने से पीडि़त की जान बच गई है। हमारे लिए यही सबसे बड़ा सम्मान है। हालांकि उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भरतपुर बीट्स को जिला प्रशासन सम्मान कर चुका है।

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