By – Positive Connect
27 October 2024
राजस्थान में विशेष योग्यजन बच्चे (Specially abled children) मन और संकेतों से अपना हुनर दिखा रहे हैं। इन बच्चों ने दीपावली के लिए मिट्टी के दीये और कपड़े के थैले बनाए हैं, जिनमें रंग-बिरंगे रंग भी भरे हैं।
मन से उकेरे जीवन के रंग
भरतपुर (राजस्थान)। राजस्थान में मूक बधिर, नेत्रहीन और दिव्यांग बच्चे (Specially Abled Children) मन और संकेतों से अपना हुनर दिखा रहे हैं। ये व्यावसायिक कौशलता बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इन बच्चों ने दीपावली के लिए मिट्टी के दीये और कपड़े के थैले बनाए हैं, जिनमें रंग-बिरंगे रंग भी भरे हैं।
इस बार दिवाली में आप द्वारा की गई दीये व कपड़े के थैलों की खरीददारी न सिर्फ आपके लिए खास होगी, बल्कि उन बच्चों के चेहरों की मुस्कान भी बढ़ा देगी, जिन्होंने मन और संकेतों के साथ अपने हुनर से इन्हें विभिन्न रंगों से सजाया है।
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बढ़ा रहे व्यावसायिक कौशल
बधिर विद्यालय अजमेर, अभिलाषा विशेष विद्यालय उदयपुर, मूक बधिर विद्यालय भीलवाड़ा के 150 बच्चों की ओर से बनाए गए दीये और कपड़े के थैलों को दिवाली स्टॉल पर हाट्र्स विथ फिंगर्स (Hearts With Fingers) के तहत खरीदा जा सकता है। जीवन तरंग कार्यक्रम से जुड़े इन होनहारों ने मिट्टी के दीये और कपड़े के थैलों को मन की भावनाओं से सुदंर रंगों से आकर्षक बनाया है। जीवन तरंग का उद्देश्य बच्चों में उद्यमशीलता की भावना जगाने के साथ ही उनमें व्यावसायिक कौशल को बढ़ावा देना है।
यह है जीवन तरंग कार्यक्रम
वर्ष 2017 से हिन्दुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) की सीएसआर पहल ‘जीवन तरंग कार्यक्रम’ (Jeevan Tarang Program) का उद्देश्य विशेष योग्यजनों (Specially Abled Children) को बेहतर शैक्षिक अवसर प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना है। इस कार्यक्रम से 700 से अधिक नेत्रहीन और मूक बधिर बच्चों को बेहतर शिक्षा से जोड़ा है। इनमें से लगभग 600 ने एक समर्पित पाठ्यक्रम के माध्यम से भारतीय सांकेतिक भाषा सीखी है। 100 से अधिक नेत्रहीन बच्चों को प्रौद्योगिकी डेजी प्लेयर, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, एमएस-ऑफिस, ऑनलाइन शिक्षण सामग्री तक पहुंचने के लिए सॉफ्टवेयर आदि का प्रशिक्षण दिया है। जीवन तरंग विशेष योग्यजन बच्चों (Specially Abled Children) को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर तरह की सहायता देने के लिए प्रयासरत है।
दिव्यांग बच्चों ने किया कला का प्रदर्शन
भरतपुर में कल्याण जन सेवा शिक्षा एवं ग्रामीण विकास समिति की ओर से संचालित लोहागढ़ स्पेशल स्कूल फॉर दिव्यांग के 55 बच्चों ने मिट्टी के रंग-बिरंगे हजारों दीये बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया। इन बच्चों ने शहर के दशहरा मेला मैदान में अपने उत्पादों की स्टॉल भी लगाई है। संस्था प्रधान सुनील कुमार ने बताया कि बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से मिट्टी के दीयों का निर्माण कराया है।
नेत्रहीन भी किसी से कम नहीं
अलवर के राजगढ़ ब्लॉक के डाबला गांव में ह्यूमन डवलपमेंट इंस्टीट्यूट (HDI) की ओर से संचालित आधारशिला में 20 मूक बधिर, नेत्रहीन व मानसिक पक्षाघात बच्चों ने मिट्टी के 5 हजार से अधिक दीये बनाए। इन दीयों को आमजन को बेचने के लिए बच्चों ने स्टॉल भी लगाई। इंस्टीट्यूट के निदेशक आरसी मीणा (रिटायर्ड IES) ने बताया कि राजगढ़ की पुलिस उपाधीक्षक (CO) मनीषा मीणा (RPS) ने बच्चों के काम को सराहते हुए उनका उत्साहबर्धन किया।