By – राजेश खण्डेलवाल
11 January 2025
नवीन व प्रभावशाली पहलों के माध्यम से सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) शैक्षिक अंतराल को पाटने और सृजन के लिए काम कर रही है। सुदूर और वंचित क्षेत्रों के बच्चों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सम्पूर्ण शिक्षा 5 प्रोजेक्ट संचालित करती है, जो बदलाव के वाहक बन रहे हैं। सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) फिलहाल करौली की पाठशालाओं में शिक्षकों को गतिविधि आधारित शिक्षण का प्रशिक्षण दे रही है। राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में भी वंचित बच्चों का जीवन संवारने पर विचार कर रही है।
शिक्षकों को सम्पूर्ण शिक्षा का प्रशिक्षण
करौली (राजस्थान)। सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) से अब राजस्थान के वंचित बच्चों का भी जीवन रोशन हो सकेगा। इसके तहत करौली जिले में गतिविधि आधारित शिक्षण (Activity Based Teaching) के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जल्द ही अन्य क्षेत्रों में संचालित पाठशालाओं में कार्यरत शिक्षकों को सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) की ट्रेनिंग दी जाएगी। बच्चों के लिए जरूरी संसाधन भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) की फाउण्डर लता श्रीनिवासन पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं, सबसे पहले साउथ इंडियन एज्युकेशन सोसायटी (SIES) की वेद पाठशाला के 10 छात्रों को ऑफलाइन 10वीं कक्षा की तैयारी कराई, जिनका परिणाम अच्छा रहा। इससे हमारा उत्साह बढ़ा। तब, नई दिल्ली के प्रगति व्हील्स स्कूल के 50 बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया गया, जिनका भी परिणाम बेहतर रहा। यह कोरोना से पहले की बात है। तब हमने 3 साल तक ऐसा किया, लेकिन कोरोना में ऑफलाइन काम बंद हो गया, तब मैंने बहन पुष्पा सुब्रमण्यम के साथ मिलकर सम्पूर्ण शिक्षा का गठन किया, जिससे बाद में वैदेही पगरिया को जोड़ा। अब हम तीनों मिलकर नवीन व प्रभावशाली पहलों के माध्यम से शैक्षिक अंतराल को पाटने और सृजन के लिए काम कर रही हैं, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं। सीखने के परिवर्तनकारी अवसरों से सम्पूर्ण शिक्षा को 1000 वॉलियंटर और 5 बिजनेस स्कूलों के 500 इंटर्न का सहयोग भी मिल रहा है।
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में सम्पूर्ण शिक्षा की फाउंडर (Founder Of Sampoorna Shiksha) लता श्रीनिवासन बताती हैं कि इस बदलाव का समर्थन करने के लिए हम देश-दुनिया में 5 प्रोजेक्टों पर काम करते हैं, जो सुदूर और वंचित क्षेत्रों के बच्चों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाए गए हैं।
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बदलाव के लिए बनाए 5 प्रोजेक्ट
किताब-खिलौना : किताबों और खिलौनों वाली लाइब्रेरी बनाई जाती है, जो सीखने को मजेदार, आसान और अधिक प्रभावी बनाती है।
प्रोजेक्ट ई-स्मार्ट शिक्षा किट: परस्पर संवाद और आधुनिक शिक्षण सहायक सामग्री शामिल की जाती है।
इंग्लिश-ऑन-कॉल: शिक्षण के साथ बोलचाल में अंग्रेजी के प्रयोग से आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
कम्प्यूटर लैब : कौशल वृद्धि के लिए कंप्यूटर लाइब्रेरी की स्थापना की जाती है।
एसएस अकेडमी: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के अनुसार शिक्षकों का नवीनतम शिक्षा शास्त्र पर ध्यान केंद्रित करने और उनमें व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है।
मिला प्योर इंडिया सोशल इम्पैक्ट अवार्ड 2022
सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) की फाउण्डर पुष्पा सुब्रमण्यम पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं कि सम्पूर्ण शिक्षा को शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए प्योर इंडिया ट्रस्ट (Pure India Trust) ने प्योर सोशल इम्पैक्ट अवार्ड 2022 (Pure Social Impact Award 2022) प्रदान किया। इसमें देशभर की 156 एनजीओ (NGO) शामिल हुई, जिसमें सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) को दूसरा स्थान मिला। वे बताती हैं कि सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) को उसके समर्पण और प्रभावकारी बदलाव के कारण पिछले वर्षों में कई अन्य सम्मान भी मिले।
शिक्षकों को 8 माह का प्रशिक्षण
शिक्षा को सुलभ बनाने के प्रति प्रतिबद्ध सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) की फाउण्डर पुष्पा सुब्रमण्यम बताती हैं कि हम फिलहाल गतिविधि आधारित शिक्षण के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। राजस्थान के करौली में रेखा पाठशाला में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया है और कई अन्य पाठशालाओं के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वे बताती हैं कि प्रशिक्षण की अवधि करीब 8 माह की होती है। हमारी टीम सप्ताह में एक बार ट्रेनिंग देती है और फिर शिक्षक उसे सप्ताहभर क्लास में क्रियान्वित करता है। शिक्षक को इससे जुड़े फोटो व वीडियो सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) को भेजने होते हैं, जिससे यह पता लगाया जाता है कि जो सिखाया है, शिक्षक उसे सही से अमल कर भी रहा है या नहीं। इसी तरह की ट्रेनिंग राजस्थान के अन्य जिलों में भी संचालित पाठशालाओं के शिक्षकों को देने पर विचार चल रहा है। ट्रेनिंग के बाद उन पाठशालाओं में बच्चों को सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) मिल सके, इस पर काम किया जा सकेगा।
एक नजर में सम्पूर्ण शिक्षा
सम्पूर्ण शिक्षा (Sampoorna Shiksha) फिलहाल देश के 20 राज्यों के साथ दुनिया के 3 अन्य देश यूएसए, यूएई व सिंगापुर में भी काम कर रही है। संस्था 3 हजार से ज्यादा बच्चों को लाभान्वित कर चुकी है। संस्था शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के 25 स्कूलों में भी काम कर रही है।
इन राज्यों में सम्पूर्ण शिक्षा
* राजस्थान * झारखण्ड
* लेह * उत्तराखण्ड
* बिहार * उत्तरप्रदेश
* असम * महाराष्ट्र
* कर्नाटक * आंध्र प्रदेश
* तमिलनाडु * तेलंगाना
* केरल * दिल्ली
* अरुणाचल प्रदेश * त्रिपुरा
* पश्चिम बंगाल * मध्यप्रदेश
* जम्मू * कश्मीर
100 से ज्यादा टीचर्स को ट्रेनिंग
सम्पूर्ण शिक्षा की ओर से एसएस अकेडमी टीचर ट्रेनिंग के जरिए 4 राज्यों के 10 स्कूल व सामुदायिक पाठशालाओं के 100 से अधिक टीचरों को ट्रेनिंग दी है। इससे 2 हजार से ज्यादा बच्चों को सम्पूर्ण शिक्षा का लाभ मिला है। 50 से अधिक पाठ्यसामग्री की किटों का वितरण किया जा चुका है।
ये हुआ बदलाव
सम्पूर्ण शिक्षा की गतिविधियों से 8 ग्रामीण व 2 शहरी स्कूलों में भी बदलाव आया है। उनमें बच्चों की उपस्थिति 60 फीसदी बढ़ी है तो 2 हजार बच्चे व 100 से अधिक टीचर प्रभावित हुए हैं। इन स्कूलों में पढ़ाई का फ्रेंडली माहौल भी बना है।
डिजिटल शिक्षा में बढ़ोतरी
सम्पूर्ण शिक्षा के डिजिटल इंटरवेशन से 17 पिछड़े स्कूलों में 50 फीसदी डिजिटल शिक्षा में बढ़ोतरी हुई है, जहां हर माह 30 घंटे पढ़ाई हो रही है।
अंग्रेजी की स्किल बढ़ी
सम्पूर्ण शिक्षा के इंग्लिस ऑन कॉल के जरिए 12 राज्यों के 5 हजार से अधिक बच्चे लाभान्वित हुए हैं। इससे 40 फीसदी ने अंग्रेजी सीखने में दिलचस्पी दिखाई तो 20 फीसदी में अंग्रेजी की स्किल बढ़ी है। इनमें 30 फीसदी देहाती बच्चे व 70 फीसदी शहरी बच्चे हैं।
पहुंच व क्षेत्र ऐसे बढ़ा
सम्पूर्ण शिक्षा को 40 से अधिक संगठनों का सहयोग मिला है। इससे बच्चों तक पहुंचने में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है तो क्षेत्र का दायरा भी 25 फीसदी बढ़ा है।