By – Positive Connect
28 November 2024
दिव्यांगों और दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित व्यक्तियों को कपड़े पहनने में होने वाली समस्या से निजात दिलाने (Relief To The Disabled) के लिए पाली के स्वावलंबन फाउंडेशन (Swavalamban Foundation of Pali) ने अनूठी व अभिनव पहल की है, जो समावेशी फैशन को बढ़ावा देने के साथ ही फैशन और सुविधा का लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचाने की दिशा में एक सार्थक कदम है।
दिव्यांगों को कपड़े पहनने में आ रही समस्याओं से मिलेगी निजात
पाली (राजस्थान)। शारीरिक अक्षमताओं से जूझ रहे दिव्यांगों को कपड़े पहनने में होने वाली समस्या से राहत (Relief To The Disabled) मिलने की उम्मीद जगी है। अब जल्द उनकी सुविधा के अनुसार कपड़े डिजाइन होंगे, जिससे वे फैशन ट्रेंड्स के अनुसार डिजाइनर कपड़े पहन सकें। देश में पहली बार दिव्यांगों के लिए यह पहल राजस्थान के पाली में स्वावलंबन फाउंडेशन की ओर से की जा रही है। उनकी इस पहल में दिल्ली की पूर्वा मित्तल, गुजरात की मनीषा वैद्य और हिमाचल की नंदिनी नाग भी जुटी हुई हैं। स्वावलंबन फाउंडेशन (Swavalamban Foundation) की इस पहल का मूल मकसद कपड़ों की ऐसी फैशन डिजाइन तैयार करना है, जो दिव्यांगजनों की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनकी जीवनशैली को आसान, आरामदायक और आत्मविश्वासी बना सके।
दिव्यांगों और दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित व्यक्तियों के अधिकारों और उत्थान के लिए समर्पित स्वावलंबन फाउंडेशन उनके लिए ‘इंक्लूसिफिट: सुलभ वस्त्र डिजाइन प्रतियोगिता’ करा रहा है, जिसमें शामिल होने के लिए पंजीयन की अंतिम तिथि 30 दिसंबर, 2024 रखी गई है। प्रतियोगिता में करीब एक हजार से अधिक नामी और नए फैशन डिजाइनर्स शामिल होंगे।
प्रतियोगिता के डिजाइन के पेशेवर व छात्र आमंत्रित
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में स्वावलंबन फाउंडेशन के प्रमुख (Head of Swavalamban Foundation) डॉ. वैभव भंडारी बताते हैं कि देशभर से फैशन डिजाइनिंग के छात्रों और पेशेवर फैशन डिजाइनरों को आमंत्रित किया है। प्रतियोगिता के अंतिम चरण में चयनित प्रतिभागी अपने द्वारा दिव्यांगों की जरूरत के हिसाब से डिजाइन किए गए वस्त्रों का प्रदर्शन करेंगे। उनका एक्सपर्ट निरीक्षण कर गुणवत्ता के पैरामीटर्स चेक करेंगे। चयनित फैशन डिजाइनरों को प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार से सम्मानित भी किया जाएगा।
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प्रतियोगिता की विशेषताएं
* डिजाइन प्रस्तुत करते समय उपयोग में सरलता, आराम और लुक पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
* प्रतिभागी अपनी प्रविष्टियां डिजिटल प्रारूप में जमा कर सकते हैं।
* विजेताओं को प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
फैशन सुविधा व आत्मसम्मान का प्रतीक
फाउंडेशन की कार्यक्रम समन्वयक सयोनी सोनी ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि फैशन केवल दिखावे का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सुविधा और आत्मसम्मान का प्रतीक भी है। हमारी पहल ‘इंक्लूसिफिट’ का मकसद है कि प्रगतिशील दिव्यांगताओं और दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित व्यक्ति भी फैशन और आराम का समान अधिकार पा सकें।
प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य
प्रगतिशील दिव्यांगताओं, दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित व्यक्तियों और व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त और सुलभ कपड़े डिजाइन करना है, जो उनकी बदलती शारीरिक और मानसिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आरामदायक हों।
95.3 % मरीज आसानी से पहनने योग्य कपड़ों को आजमाने के पक्ष में
देश में पहली बार दिव्यांगों के फैशन स्टाइल को लेकर सर्वे किया गया है। सर्वे रिपोर्ट भी आ गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 95.3 % मरीज आसानी से पहनने योग्य कपड़ों को आजमाने के पक्ष में नजर आए हैं। इसलिए ही अब देशभर के नामचीन और उभरते डिजाइनर्स यह तय करेंगे कि दिव्यांगों के लिए कैसे कपड़े डिजाइन किए जाए।
दिव्यांगजनों की समस्याओं पर आधारित सर्वेक्षण
स्वावलंबन फाउंडेशन के प्रमुख डॉ. वैभव भंडारी ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि यह सर्वेक्षण स्वतंत्र रूप से किया गया था, जिसमें देशभर के 18 राज्यों के 210 मरीजों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी। सर्वेक्षण में सामने आया कि कई मस्कुलर डिस्ट्रॉफी समेत कई बीमारियों से पीडि़त दिव्यांग जनों को कपड़े पहनने में कई तरह की समस्याएं आती हैं। आगे से उन्हें समस्याएं नहीं आए, यह जानने, समझने और उनका निदान करने के लिए ही यह सर्वेक्षण किया था।
सर्वे में यह रहा परिणाम
* 70.5 % मरीजों को कपड़े पहनते समय हाथ या पैर हिलाने में कठिनाई होती है।
* 55.8 % मरीज स्वतंत्र रूप से कपड़े पहनने में असमर्थ हैं।
* 75.2 % मरीजों को कपड़े पहनने के लिए दूसरों की मदद की आवश्यकता होती है।
* 62 % मरीज कपड़े पहनने में कठिनाई के कारण अपनी कई पसंदीदा गतिविधियों से वंचित रहते हैं।
* 95.3 % मरीज आसानी से पहनने योग्य कपड़ों को आजमाने में रुचि रखते हैं।
प्रगतिशील दिव्यांगता : बदलती जरूरतों का समावेश
प्रगतिशील दिव्यांगता ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की शारीरिक या मानसिक कार्यक्षमता समय के साथ धीरे-धीरे कम होती जाती है। यह स्थिति स्थिर नहीं रहती, बल्कि समय के साथ और अधिक जटिल होती जाती है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारियों से पीडि़त व्यक्तियों की बदलती शारीरिक जरूरतें इस बात पर जोर देती हैं कि उनके लिए वस्त्र और अन्य उपयोगी सामग्री को उनके स्वास्थ्य और सुविधा के अनुकूल बनाया जाए।
समाज में समावेशिता का संदेश
स्वावलंबन फाउंडेशन की यह प्रतियोगिता न केवल दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल वस्त्र तैयार करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है, बल्कि यह समावेशी समाज के निर्माण की ओर एक बड़ा कदम भी है। इस पहल का उद्देश्य न केवल दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाना है, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाना है।
प्रतियोगिता के माध्यम से जागरूकता का प्रसार
“इंक्लूसिफिट: सुलभ वस्त्र डिजाइन प्रतियोगिता” के माध्यम से डिजाइनरों और नवाचारकर्ताओं को यह समझने का अवसर मिलेगा कि दिव्यांगजनों की जरूरतें कितनी जटिल और अनूठी हो सकती हैं। यह पहल न केवल दिव्यांगजनों के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करने में मदद करेगी, बल्कि फैशन जगत को भी समावेशी दिशा में ले जाएगी। स्वावलंबन फाउंडेशन का यह प्रयास दिव्यांगजनों के लिए समानता और समावेशिता के अधिकार को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।