Positive Connect

एक पहल
Latest Story:

Organic Farming : स्वास्थ्य का फायदा, आय भी ज्यादा

Blog Image
Dragon Fruit farming

By – राजेश खण्डेलवाल
25 October 2024

खेतों में रासायनिक खाद के प्रयोग से पैदा होने वाले अन्न व सब्जियां आदमी के लिए जानलेवा साबित हो रही है। देशवासी स्वस्थ रहेंगे, तभी देश की तरक्की हो पाएगी। इस बात को महिला किसान अब अच्छी तरह से समझ गई हैं। 3 प्रगतिशील महिला किसानों (Progressive Women Farmer) की कहानी कुछ ऐसा ही संदेश दे रही हैं। इनका स्पष्ट कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए जैविक खेती (Organic Farming) को अपनाना ही होगा, क्योंकि इससे स्वास्थ्य को फायदा तो है ही, आय भी ज्यादा होती है।
organic farming

परम्परागत खेती बनी घाटे का सौदा

भरतपुर (राजस्थान)। देश में ज्यादातर किसान अब भी पारंपरिक खेती करते हैं, जिसमें रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग होता है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि स्वास्थ्य और फसल की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जैविक खेती (Organic Farming) में प्राकृतिक संसाधनों जैसे गोबर, जैविक खाद, वर्मी-कम्पोस्ट, और हर्बल कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। जैविक खेती का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाली, सुरक्षित और पौष्टिक फसलों का उत्पादन करना है। इससे स्वास्थ्य को फायदा तो है ही, आय भी ज्यादा होती है।

परम्परागत खेती अब घाटे का सौदा बन गई है। हर साल रसायनिक उर्वरकों की मात्रा बढ़ती जाती है और फिर एक दिन लागत व आय में ज्यादा अंतर नहीं रह जाता है। इससे जमीन की उर्वरकता शक्ति भी कम हो जाती है। ऐसे ही कारणों से किसान की खेती के प्रति रूचि कम हो रही है और वे रोजी-रोटी के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।

organic farming
Also Read

दोगुणी हो गई रसीलपुर की भावना की आमदनी

भरतपुर जिले की रूपवास पंचायत समिति के रसीलपुर गांव की भावना देवी पत्नी अजीतसिंह गुर्जर PTI का पॉजिटिव कनेक्ट से कहना है कि 3 साल से जैविक खेती करने से मेरी आमदनी दोगुणी हो गई है। मैंने कृषि व उद्यान विभाग से प्रशिक्षण लिया, जहां से जैविक खेती (Organic Farming) की प्रेरणा मिली। मैंने खुद ही वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया, जिसका गेहूं व सरसों के साथ अमरुदों के बगीचे और किचन गार्डन में पैदा होने वाली सब्जियों में उपयोग किया। इससे अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद मिल रहे हैं, जिनकी डिमांड इतनी ज्यादा है कि पूर्ति कर पाना मुश्किल हो रहा है। फसलों में किसी तरह का रोग लगने पर जैविक कीटनाशी का ही स्प्रे करती हूं। वे कहती है कि जैविक उत्पादों का एक बार स्वाद लेने के बाद कोई भी व्यक्ति रसायनिक उत्पादों को पसंद नहीं करेगा। मैंने अन्य किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया, जिसके लिए मुझे आत्मा परियोजना के तहत जिला स्तर पर सम्मान भी मिल चुका है।

organic farming

जैविक खेती का पाठ भी पढ़ा रहीं खटवा की रूबी

दौसा जिले की खटवा निवासी रूबी पारीक ने अपने पिता की कम उम्र में ही कैंसर से मृत्यु होने के बाद जैविक खेती (Organic Farming) की ठानी। प्रगतिशील किसानों में शामिल रूबी ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि मेरी पहल पर कई गांवों के किसानों ने भी जैविक पद्धति से फसल तैयार करना शुरू कर दिया है। रूबी अब महिलाओं को जैविक खेती का पाठ भी पढ़ा रही हैं। उन्होंने खेत में एक बड़ी वर्मी कंपोस्ट इकाई स्थापित की, जिसके माध्यम से कई लोगों को रोजगार भी दिया। पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में रूबी ने बताया कि जरूरतमंद किसानों को निशुल्क वर्मी कंपोस्ट खाद व जैविक बीज भी उपलब्ध करवा रही हूं। मैंने नाबार्ड के सहयोग से कृषक उत्पादक संगठन बनाया। जैविक खेती में चार साल बाद अच्छे परिणाम आना शुरू हो जाते हैं। इससे उत्पादन व गुणवत्ता तो बढ़ती ही है, साथ ही फसल के दाम भी अच्छे मिलते हैं। इससे पर्यावरण संरक्षण होता है। पॉजिटिव कनेक्ट से उनका कहना है कि 30 से अधिक राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय पुरस्कार मिल चुके हैं, जिसमें इनोवेटिव फार्मर्स राष्ट्रीय अवॉर्ड भी है। उनका कहना है, जो हिम्मत नहीं हारते, वे ही जीतने का रास्ता बनाते हैं।

organic farming

अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हाजीपुर की गीता

अलवर जिले के हाजीपुर की गीता देवी पहले पारंपरिक रूप से रायायनिक खाद से खेती करती थी, लेकिन अब वह जैविक खेती (Organic Farming) कर अपने परिवार के लिए आजीविका कमा रही है। अब वह दूसरी महिलाओं को भी जैविक खेती करना सिखा रही है। इसके लिए स्पेक्ट्रा संस्था से जुडकऱ प्रशिक्षण लिया। पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हुए गीता कहती हैं कि खुशी नाम का स्वयं सहायता समूह बनाकर अन्य महिलाओं को भी इससे जोड़ा। समूह के माध्यम से गीता न केवल अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाई, बल्कि अन्य महिलाओं को भी संगठित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।
गीता पॉजिटिव कनेक्ट से चर्चा में बताती हैं, मैंने सबसे पहले सरसों, बाजरा और गेहूं जैसी प्रमुख फसलों में जैविक खेती का प्रयोग किया। इसके बाद गोभी, आलू, टमाटर, मिर्च, बैंगन, गाजर, मूली, पालक और धनिया जैसी सब्जियों की खेती भी जैविक तरीकों से शुरू की। अपने खेत में घर पर ही प्राकृतिक कीटनाशकों का निर्माण शुरू किया, जो कि रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में सस्ते, सुरक्षित और अधिक प्रभावी साबित हुए।

समूह की महिलाएं अब न केवल जैविक खेती (Organic Farming) से लाभ कमा रही हैं, बल्कि वे अपने उत्पादों को स्थानीय बाजार में बेचकर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर रही हैं। इससे उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, और वे अब अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे पा रही हैं।

Related Story