By – राजेश खण्डेलवाल
18 October 2024
राजस्थान के अलवर की महिला पत्रकार ज्योति शर्मा (Journalist Jyoti Sharma) ने अपनी कलम से कई लोगों के जीवन की ज्योत जलाई है। पारिवारिक झंझावतों से जूझते हुए ज्योति ने हिम्मत और मेहनत से अपना एक मुकाम बनाया है। जीवन की शुरूआत पत्रकारिता से नहीं होने के वाबजूद 300 से ज्यादा महिला-पुरुषों कहानी लिखकर वे खुद एक कहानी की किरदार बन गईं। पत्रकार ज्योति शर्मा (Journalist Jyoti Sharma) का समाज में सकारात्मक जुड़ाव (Positive Connect) भी अच्छा है।
महिलाओं के संघर्ष से मिलती है हिम्मत
अलवर (राजस्थान)। यूं तो बड़े शहरों में महिला पत्रकार काफी संख्या में हैं, लेकिन छोटे शहरों में महिला पत्रकार अंगुलियों पर गिनने लाइक ही हैं। अलवर जैसे छोटे शहर में महिला पत्रकार ज्योति शर्मा (Journalist Jyoti Sharma) ने हिम्मत और मेहनत से अपना एक मुकाम बनाया है। जीवन की शुरूआत पत्रकारिता से नहीं होने और पारिवारिक झंझावतों से जूझते हुए 300 से ज्यादा महिला-पुरुषों कहानी लिखकर खुद एक कहानी की किरदार बन गईं।
जीवन के शुरूआती दौर में ज्योति ने करीब पांच साल तक अलवर कोर्ट में वकालात की। दो बार जिला अभिभाषक संघ में पुस्तकालय सचिव रहीं। इनके सीनियर वकील के निधन ने इनकी दिशा ही बदल गई। कॉलेज शिक्षा लेते समय इनके आलेख विभिन्न समाचार-पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं और वकालात के दौरान पैदा हुए आत्मविश्वास से इनके मन में पत्रकार बनने का विचार उपजा। वर्ष 2006 में पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा और अगले साल से एक दैनिक अखबार के लिए कोर्ट से लीगल रिपोर्टिंग करने लगी, जो इनका पसंदीदा विषय भी रहा। इस तरह इन्हें पहचान मिलने लगी। इन्होंने स्थानीय टीवी चैनल में भी काम किया। फिलहाल एक दशक से ये बड़े बैनर से जुडकऱ सतत सक्रिय पत्रकारिता कर रही हैं।
जीवन में कुछ अलग करने की चाह
एमए एलएलबी तक शिक्षित ज्योति ने उर्दू और पंजाबी भाषा सीखी ही नहीं, उसमें बारहवीं भी अलग से की। फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी व कम्प्यूटर कोर्स भी किया। पुलिसकर्मी पिता गुलाब चंद शर्मा और गृहणी मां शशि शर्मा ने जीवन में कुछ अलग करने की चाह पाले ज्योति का साथ तो दिया ही, हौंसला भी बढ़ाया।
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मिला ऐसा दर्द, जो भुलाया नहीं जा सकता
शादी के बाद इनकी जिंदगी में ऐसी चुनौतियां बढ़ी कि हर कदम पर परेशानियां झेलनी पड़ी। कोरोना काल में पति के निधन से तो ऐसा दर्द मिला, जिसे जीवनभर भुलाया नहीं जा सकता, लेकिन इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। ज्योति अब अपनी 11 वर्षीय बेटी खुशी के जीवन को संवारने में जुटी हैं ताकि शंख बजाने की शौकीन खुशी अपने जीवन में खुशियों का शंखनाद कर सके।
पहचान को जूझती महिलाओं पर लिखा
पत्रकार ज्योति शर्मा (Journalist Jyoti Sharma) पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं कि आजकल लड़कियां टीवी चैनलों से प्रभावित होती हैं और एंकर व रिपोर्टर बनना चाहती हैं, लेकिन चुनौतीभरा क्षेत्र होने के कारण प्रिंट मीडिया में नहीं आना चाहती। दिनभर फील्ड रिपोर्टिंग और शाम को ऑफिस में खबरें लिखना, कई बार देर रात घर लौटना मुश्किलभरा होता है, लेकिन हिम्मत ने समाज की बातों को भी अनदेखा कर आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। बातचीत के दौरान वे पॉजिटिव कनेक्ट को कहती हैं, पत्रकारिता केवल एक जॉब नहीं, बल्कि समाज सेवा का बड़ा जरिया है। कलम में वह ताकत हैं, जो असंभव को संभव बना सकती है। खबरों के जरिए जरूरतमंदों की मददगार बनना मुझे अच्छा लगता है और उनके संघर्ष से हिम्मत भी मिलती है। कई पेंशनर, दिव्यांग और बुजुर्गों की मदद से आत्मसंतोष भी मिला। कई ऐसी महिलाओं पर कलम चलाई, जिनकी कोई पहचान नहीं थी और वे अपने अस्तित्व से संघर्ष कर रही थी।
ऐसे भी बनी लोगों की मददगार
पत्रकार ज्योति शर्मा (Journalist Jyoti Sharma) पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं कि वर्ष 2007 में किडनी पीडि़त मरीज की मददगार बनने के लिए कलम चलाई तो एकत्र हुए 7 लाख रुपए से पीडि़त के परिजनों बड़ी राहत मिली। इसी तरह हाल ही में 5 वर्षीय अमायरा के हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए देश-विदेश से करीब 30 लाख रुपए एकत्र हुए, जिससे दिल को बड़ा सुकून मिला।
ज्योति को ये मिले प्रमुख सम्मान
अलवर के कई संगठन व संस्थाओं ने पत्रकार ज्योति शर्मा (Journalist Jyoti Sharma)को सम्मानित किया। हाल ही राज्य स्तरीय समारोह में उन्हें मत्स्य रत्न अवार्ड भी प्रदान किया गया।
* पत्रकारिता के क्षेत्र में देवर्षि नारद सम्मान 2019
* बाल भारती स्कूल की ओर से बेस्ट मदर पुरस्कार 2020
* सरस्वती कला संस्थान की ओर से सरस्वती कला श्री सम्मान 2020
* महिला अधिकार एवं विकास फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से सुपर आयरन लेडी अवार्ड 2022
* राजस्थान पत्रिका की ओर से कोरोना वॉरियर अवार्ड 2022
* विप्र परशुराम शक्ति की ओर से सशक्त शक्ति सम्मान 2022
* इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन की ओर से नशा मुक्ति रक्षक सम्मान 2022
* मत्स्य रेंडोनियर की ओर से सशक्त महिला सम्मान 2023
* नेक कमाई संस्था की ओर से महिला सशक्तिकरण सम्मान 2023
* रानी लक्ष्मीबाई मार्शल एकडेमी की ओर से दो बार महिला सशक्तिकरण सम्मान 2024
* संस्कृति नृत्य कला संस्थान की ओर से मत्स्य रत्न अवार्ड 2024
अमायरा के पिता बोले, मैं नि:शब्द
बातचीत में अमायरा के पिता अमित योगेन्द्र शर्मा पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि बेटी की हालत अभी स्थिर है। हर माह मुम्बई में चेकअप कराना होता है। डॉक्टर कहते हैं कि हार्ट ट्रांसप्लांट करने के लिए अभी एक-दो साल इंतजार करना पड़ेगा। मूलत: उत्तरप्रदेश के अमित फिलहाल अलवर में दो साल से एक कंपनी में मैंनेजर हैं। वे बताते हैं कि अमायरा के उपचार का बिल 48 लाख रुपए का था, जो एकत्र हुई राशि से ही चुका पाया। कुछ रियायत अस्पताल ने भी दी। उस दौर में जब मैं आर्थिक व मानसिक रूप से टूट चुका था, तब मीडिया का बहुत बड़ा सपोर्ट मिला। उनका आभार जताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
महिलाओं को आगे लाई ज्योति
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत के दौरान अलवर के वरिष्ठ पत्रकार हरप्रकाश मुंजाल बताते हैं कि अलवर की महिला पत्रकार ज्योति शर्मा की लिखी कहानियों ने उन महिलाओं को आगे बढऩे का मौका दिया, जो हालातों के चलते आगे नहीं बढ़ पा रही थी। इन्होंने ऐसी प्रतिभाओं से अलवर वासियों को परिचित कराया है, जो गुमनामी में जी रही थीं, लेकिन अब ये प्रतिभाएं अपने कार्य क्षेत्र में डंका बजा रही हैं।