By – अविनाश चतुर्वेदी
24 October 2024
चित्तौड़गढ़ के किसान शोभालाल परम्परागत पद्धति को छोड़कर अपनी हाईटेक नर्सरी (Hitech Nursery) में गुणवतापूर्ण टमाटर, खीरा, ककड़ी, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां पैदा करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। खेती में नवाचार से उन्होंने लागत मूल्य में कमी व उत्पादन में बढ़ोतरी भी की ओर बाजार में उतरते-चढ़ते भाव की चुनौती को स्वीकारा है।
लागत कम, गुणवत्तापूर्ण उत्पादन व आमदनी में बढ़ोतरी
चित्तौडगढ़़ (राजस्थान)। बाजार में उतरते-चढ़ते भाव न सिर्फ उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं, बल्कि किसानों के लिए भी यह बड़ी चुनौती हैं। खेती में नवाचार से अपने लागत मूल्य को कम व उत्पादन बढ़ाकर किसान काफी हद तक इसके प्रभावों से बच सकते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है चित्तौड़गढ़ जिले की सुवानिया ग्राम पंचायत के भवानीपुरा गांव के किसान शोभालाल ने। उन्होंने अपनी हाईटेक नर्सरी (Hitech Nursery) में टमाटर और शिमला मिर्च की खेती की, जो कि आज उनकी नर्सरी की शोभा बढ़ा रहे हैं।
यूं तो किसान शोभालाल वर्ष 2016 से ही टमाटर व शिमला की खेती कर रहे हैं, लेकिन उनका तरीका पारम्परिक रहा, जिसमें क्यारी पद्वति से पौधे लगाते थे। इस पद्धति में जहां खरपतवार और मौसमी बीमारियों से फसल की लागत बढ़ती रही, वहीं दूसरी तरफ गुणवत्ता में कमी से बाजार में उपज का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता था।
वरदान साबित हुई समाधान परियोजना
वर्ष 2022 में किसान शोभालाला ने हिन्दुस्तान जिंक (Hndustan Zinc) की समाधान परियोजना (Solution Project) के तहत उन्नत खेती की शुरूआत की, जिसमें उन्हें ड्रिप व मल्चिंग के प्रयोग से खरपतवार और मौसमी बीमारियों के प्रकोप को कम करने में मदद मिली। कम पानी में अधिक उत्पादन की यह तकनीक शोभालाल के लिए वरदान साबित हुई। उनकी अगली पीढ़ी भी इसे अपनाते हुए उनके काम को आगे बढ़ा रही है।
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3 साल से कर रहे उन्नत खेती
अब 3 वर्ष से उन्नत खेती कर रहे शोभालाल टमाटर (tomato), खीरा-ककड़ी (cucumber) और शिमला मिर्च (capsicum) सहित ब्रोकली जैसी महंगी संिब्जयों की खेती कर आमदनी को लगातार बढ़ा रहे हैं। इससे उनके खेत में उच्च गुणवत्ता की सब्जियां पैदा हो रही हैं, जिसकी बाजार में अच्छी मांग होने से भाव भी अच्छा मिल रहा है।
शोभालाल को पहले 50 से 60 हजार रुपए प्रति बीघा ही आमदनी हो पाती थी, लेकिन अब उन्हें 2 से 2.5 लाख रुपए तक आय हो जाती है। इस वर्ष शोभालाल को टमाटर व शिमला मिर्ची का अच्छा भाव मिला। उनके टमाटर 70 से 80 रुपए किलो व शिमला मिर्च 50 रुपए किलो के भाव बिके। उनके यहां इनका उत्पादन अभी जारी है। अब उन्होंने अपनी खेती का एरिया भी बढ़ा लिया है।
प्रगतिशील किसानों में हुआ शामिल
किसान शोभालाल पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि उन्हें हाईटेक नर्सरी (Hitech Nursery) लगाने की जानकारी नहीं थी, लेकिन हिन्दुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) की समाधान परियोजना (Solution Project) से जुडऩे के बाद नर्सरी में पौधे तैयार करने से लेकर उत्पादन तक का प्रशिक्षण मिला, जिससे मैं प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में शामिल हो पाया। इससे मुझे खेती का एरिया बढ़ा पाने में कामयाबी मिली है।
समस्याओं से मिला छुटकारा
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में किसान शोभालाल के पुत्र सीताराम बताते हैं कि मैंने भी स्वरोजगार के रूप में उन्नत खेती को अपनाया है और आज अच्छी आमदनी ले रहा हूं। वे पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि पहले क्यारी पद्धति में पानी की ज्यादा जरूरत पड़ती थी। रोग व खरपतवार की समस्या भी प्रमुख थी, लेकिन ड्रिप व मल्चिंग से इन सब समस्याओं से निजात मिली है। कम लागत में गुणवतापूर्ण उत्पादन से आमदनी भी बढ़ गई है।
यह है समाधान परियोजना
हिन्दुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) की समाधान परियोजना (Solution Project) को शुरू हुए 15 वर्ष से अधिक समय हो चुका है। इसके तहत ये पायफ संस्था के सहयोग से किसानों को परम्परागत तरीके के बजाए उन्नत तरीके से खेती व पशुपालन के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इसके तहत वे किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षण देते हैं और सस्ती दर पर खाद-बीज व दवाएं भी उपलब्ध कराते हैं। साथ ही प्रगतिशील किसानों के खेतों व पशुओं का अवलोकन कराकर अन्य किसानों को भी प्रेरित करते हैं। परियोजना की टीम समय-समय पर किसानों का मार्गदर्शन भी करती रहती है। इन्होंने किसान उत्पादक संघ भी बना रखे हैं।
इन जिलों में संचालित है समाधान परियोजना
हिन्दुस्तान जिंक के जनसम्पर्क विभाग के अनुसार समाधान परियोजना राजस्थान के 6 जिले उदयपुर, सलूम्बर, राजसमंद, चित्तौडगढ़़, भीलवाड़ा व अजमेर में संचालित हैं। परियोजना से इन जिलों के 30 हजार से अधिक किसान परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। इनमें से 3 हजार से अधिक महिला किसान विभिन्न कृषि नवाचारों को अपनाने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्नत कृषि से जुड़ी हैं, जबकि अन्य 5 हजार से अधिक ने बेहतर कृषि और पशुपालन की नवीन तकनीक पर प्रशिक्षण लिया है। इसके अलावा 10 हजार से अधिक किसानों को बेहतर कृषि पद्धतियों पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए जोड़ा है। साथ ही सरकारी योजनाओं से भी लाभान्वित कराया है। 15 हजार से अधिक किसानों को हाई-टेक सब्जी की खेती, लो टनल फार्मिंग, ट्रेलिस फार्मिंग, मशरूम फार्मिंग, बागवानी आदि के लिए सहायता दी गई है।