
By – हितेश भारद्वाज
17 January 202
एप गुरु इमरान खान की पहल ने छात्रों की जिंदगी बदलने के साथ ही उनके समुदाय को भी शिक्षित व प्रेरित किया है। उन्होंने शिक्षा के लिए उपयोगी एप बनाए, जिनका प्रयोग ना केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के 50 देशों में लाखों विद्यार्थियों ने किया। कोविड लॉकडाउन के दौरान उनके बनाए एप्स के माध्यम से घर बैठे शिक्षण करना संभव हो सका। उनके नेतृत्व में जनसहयोग अभियान के माध्यम से ग्रामीण स्कूलों का नवीनीकरण हुआ, जिससे बेहतर सुविधाएं और अधिक नामांकन संभव हो सका। परिणामस्वरूप राजस्थान के किसान का बेटा एप गुरु इमरान खान को ग्लोबल टीचर प्राइज 2024 (Global Teacher Prize 2024) के शीर्ष 50 की फाइनल सूची में स्थान मिला है, जो इस बार भारत से अकेले हैं। एक साधारण शिक्षक भी अपने दृढ़ निश्चय और नवाचारों से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है और वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना सकता है। इसे साबित किया है राजस्थान में किसान के टीचर बेटे एप गुरु इमरान खान (App Guru Imran Khan) ने। पढि़ए उनके जीवन व शैक्षिक सफर पर आधारित ग्रामीण शिक्षक से ग्लोबल शिक्षक बनने तक की प्रेरणादायी कहानी…

फाइनल सूची में एप गुरु इमरान खान भारत से अकेले
अलवर (राजस्थान)। ग्लोबल टीचर प्राइज 2024 (Global Teacher Prize 2024) के शीर्ष 50 में शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं वर्की फाउंडेशन को समाज में शिक्षकों की भूमिका को मान्यता देने के लिए धन्यवाद देता हूं। यह कहना है किसान के टीचर बेटे एप गुरु इमरान खान का। पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में एप गुरु कहते हैं, यह पहचान इस बात का प्रमाण है कि शिक्षक समाज के भविष्य को आकार देने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैं आगे भी इसी प्रकार छात्रों में रचनात्मकता और जिज्ञासा को प्रोत्साहित करता रहूंगा। एप गुरु इमरान खान को 1 मिलियन डॉलर के ग्लोबल टीचर प्राइज 2024 (Global Teacher Prize 2024) के लिए शीर्ष 50 में शामिल किया है, जो इस बार भारत से अकेले शिक्षक हैं। इसके लिए 89 देशों से 5 हजार से अधिक नामांकन हुए। शीर्ष 10 फाइनलिस्टों की घोषणा जनवरी, 25 के अंत में की होगी और विजेता का चयन 11-13 फरवरी 2025 को दुबई में होने वाले वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट में किया जाएगा।
यह है ग्लोबल टीचर प्राइज
ग्लोबल टीचर प्राइज (Global Teacher Prize) एक वार्षिक पुरस्कार है जो वर्की फाउंडेशन (Varkey Foundation) द्वारा ऐसे असाधारण शिक्षक को दिया जाता है, जिसने अपने छात्रों और समुदाय पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला हो। 2014 में स्थापित, इस पुरस्कार का उद्देश्य शिक्षकों के महत्व को उजागर करना और समाज में उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देना है। इस पुरस्कार के साथ 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपए) का नकद पुरस्कार दिया जाता है, जो इसे शिक्षा के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक बनाता है। अब तक भारत से केवल एक शिक्षक महाराष्ट्र के रणजीत दिसाले इस उपलब्धि (Global Teacher Prize 2020) को हासिल कर सके हैं।

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मुश्किलों भरा रहा एप गुरु का बचपन
राजस्थान के अलवर जिले में खारेड़ा गांव के साधारण किसान परिवार में जन्मे 45 वर्षीय इमरान खान का बचपन मुश्किलों से भरा रहा। परिवार की आर्थिक मदद के लिए उन्होंने कक्षा 9 में ही बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। उनकी शिक्षा यात्रा का यह पहला कदम था। अपने प्राथमिक विद्यालय में संसाधनों की भारी कमी को देखते हुए इमरान ने ठान लिया कि वे अपने जीवन को शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए समर्पित करेंगे। तीन बहनों के भाई एप गुरु इमरान खान के पिता मरहूम हाजी सुलेमान खान किसान रहे हैं और मां असरफी गृहणी। इनका एक भाई प्रिंसिपल है व 2 भाई इंजीनियर हैं। एप गुरु की पत्नी कश्मीरी गृहणी, बड़ी बेटी सॉफ्टवेर इंजीनियर व छोटी बेटी वनस्थली विद्यापीठ से कानून की पढ़ाई कर रही है। इनका बेटा 10वीं कक्षा में है।

कक्षा से परे भी इमरान का काम
एप गुरु इमरान खान ने ग्रामीण स्कूलों की समस्याओं जैसे उच्च अनुपस्थिति दर, लिंग आधारित शैक्षिक असमानता और कमजोर बुनियादी ढांचे को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी पहलों, जैसे मल्टी-ग्रेड कक्षाओं में सहपाठी शिक्षण पद्धति और समूह-आधारित प्रोजेक्ट लर्निंग ने छात्रों को अपनी शिक्षा में सक्रिय भागीदार बनने के लिए प्रेरित किया। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान उनके लेट अस टॉक एजुकेशन कार्यक्रम ने हजारों शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षण के लिए प्रशिक्षित किया। उन्होंने छात्रों को जलवायु परिवर्तन के बारे में शिक्षित करने, स्कूल पुस्तकालय की स्थापना और स्कूल परिसर में 200 पौधों का मियावाकी गार्डन बनाने जैसे प्रोजेक्ट्स पर भी काम किया।
सकारात्मक रहा सामुदायिक जुड़ाव
एप गुरु इमरान खान का सामुदायिक जुड़ाव भी सकारात्मक व प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने धन जुटाने के अभियानों का नेतृत्व किया, जिससे स्थानीय संगठनों ने स्कूलों का नवीनीकरण किया और नामांकन बढ़ा। उनके नेतृत्व में विद्यालय में मस्ती की पाठशाला कार्यक्रम ने बच्चों का व्यक्तित्व विकास और कॅरियर मार्गदर्शन किया हैं।

100 से ज्यादा शैक्षिक एप बनाए
वर्ष 1999 से अंग्रेजी, गणित, और विज्ञान पढ़ाते हुए इमरान ने शिक्षा को दिलचस्प और सुलभ बनाने के अनगिनत प्रयास किए। 2008 में पहली बार कम्प्यूटर का उपयोग करने के बाद इमरान ने वेब डेवलपमेंट सीखा और हिंदी में ऑफलाइन शैक्षिक सामग्री विकसित की। शिक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के महत्व को समझते हुए 100 से अधिक शैक्षिक ऐप बनाए, जो 50 से अधिक देशों में 30 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं तक पहुंच चुके हैं।
मानव संसाधन मंत्रालय को सौंपे एप्स
एप गुरू इमरान ने शैक्षिक ऐप्स में प्राथमिक शिक्षा से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, स्वास्थ्य (ग्रामीण महिलाओं के लिए मातृत्व देखभाल ऐप) और सामाजिक कल्याण जैसे विषयों को कवर किया है। वर्ष 2015 में इमरान ने बनाए अपने ऐप्स मानव संसाधन मंत्रालय को समर्पित कर दिए, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के वेम्बली स्टेडियम में अपने भाषण में भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मेरा हिंदुस्तान अलवर के इमरान खान में बसता है।

शैक्षणिक योगदान और नवाचार
इमरान ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रशस्त, राष्ट्रीय-ए-पुस्तकालय जैसे ऐप्स विकसित किए हैं, जबकि राजस्थान सरकार के लिए दिशारी, देववानी और गिरवानी ऐप बनाए। उनकी ओर से बनाए देववानी ऐप ने कोविड-19 महामारी के दौरान संस्कृत के छात्रों और शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा का मंच प्रदान किया। शिक्षा को सभी तक पहुंचाने के लिए इमरान खान ने कई नवाचार किए, जिनमें बहु-स्तरीय कक्षाओं के लिए पीयर लर्निंग और समूह-आधारित परियोजनाएं शामिल हैं। उनके प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की अनुपस्थिति और शैक्षिक असमानताओं को कम करने में सफलता मिली।

एप गुरु इमरान खान को मिले सम्मान
* राष्ट्रीय आईसीटी पुरस्कार (2016)
* भामाशाह पुरस्कार (2016)
* राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (2018)
* जमनालाल बजाज पुरस्कार (2019)
* फुलब्राइट डिस्टिंग्विश्ड अवार्ड (2023)

यहां दिया प्रशिक्षण व व्याख्यान
एप गुरु इमरान खान ने NCERT और SSIERT के साथ मिलकर हजारों शिक्षकों को शिक्षा में आईसीटी के उपयोग का प्रशिक्षण दिया है। वे लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी, IIT दिल्ली और IIM अहमदाबाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में व्याख्यान दे चुके हैं। इमरान खान को टेड (TED) जैसे वैश्विक प्लेटफार्म पर भी अपनी वार्ता देने का अवसर मिला है।