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Girls Education In Mewat ऐसे बढ़ा रहे नूर मोहम्मद

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By – राजेश खण्डेलवाल
05 December 2024

राजस्थान के मेवात में बालिका शिक्षा (Girls Education In Mewat) को लेकर आए बदलाव में बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं नूर मोहम्मद, जो पिछले दो दशक में सतत मेवात में ड्रॉपआउट बालिकाओं को पुन: शिक्षा से जोडकऱ मेवात में बालिका शिक्षा (Girls Education In Mewat) को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने अभी तक 18 हजार से ज्यादा बालिकाओं को शिक्षा से जोडकऱ मेवात में बाल-विवाह कैसी कुप्रथा पर अंकुश लगाने में सहभागिता निभाई है।
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18 हजार बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ा

अलवर (राजस्थान)। पहली बात तो राजस्थान के मेवात में बालिकाएं स्कूल जाती ही नहीं थी। कुछ बालिकाएं स्कूल जाती भी थी तो वे बीच में पढ़ाई छोडकऱ या फिर पांचवीं पास करके घर बैठ जाती थी। ऐसी बालिकाओं की संख्या नगण्य होती थी, जो दसवीं या दसवीं सेे आगे की पढ़ाई करती थी, लेकिन पिछले दो दशक में इस स्थिति में बदलाव आया है।
मेवात में पहले बालिकाओं के स्कूल नहीं जाने या फिर बीच में पढ़ाई छोड़ देने के साथ बदले हालातों का कोई एक कारण नहीं है, लेकिन इस बदलाव में बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं नूर मोहम्मद, जो पिछले दो दशक से मेवात में ड्रॉपआउट बालिकाओं को पुन: शिक्षा से जोडकऱ मेवात में बालिका शिक्षा (Girls Education In Mewat) को बढ़ावा दे रहे हैं।
मेवात में बालिका शिक्षा (Girls Education In Mewat) के बदतर हालातों को लेकर चिंतित अलवर के किशनगढ़बास ब्लॉक के घासोली गांव निवासी 53 वर्षीय नूर मोहम्मद ने वर्ष 2000 से इस दिशा में काम करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए उन्होंने अलवर मेवात शिक्षा एवं विकास संस्थान (AMIED) बनाया। इससे पहले उन्होंने लोक जुम्बिस से जुडकऱ बारां जिले की सहरिया क्षेत्र में शिक्षा पर काम किया।

एमएससी (Mathematics) बीएड तक शिक्षित नूर मोहम्मद ने शुरूआत के 5 साल में पहले बालक-बालिका दोनों को प्राथमिक शिक्षा और फिर उच्च प्राथमिक शिक्षा से जोड़ा। वर्ष 2009 में राजस्थान में आरटीई (शिक्षा का अधिकार) लागू होने से पहले नूर मोहम्मद ने वर्ष 2006 से ही बालिका शिक्षा (Girls Education) पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। इस दौरान उन्होंने सैंकड़ों ऐसी बालिकाओं को स्कूलों से जोड़ा, जो बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ चुकी थी और स्कूलों में उनका फर्जी नामांकन भी हो रहा था।

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गरीब बालिकाओं को मिला पढऩे का उपयुक्त अवसर

पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में AMIED के सदस्य सचिव नूर मोहम्मद बताते हैं कि मेवात में मुस्लिम समाज के लोगों ने ही इस्लाम को बढ़ाया है तो फिर वे शिक्षा को क्यों नहीं बढ़ा सकते? यही सोचकर वर्ष 2010 से 2015 तक सामुदायिक भागेदारी बढाई। साथ ही बालिकाओं को स्कूलों में पुन: प्रवेश दिलाकर सरकारी स्कूलों के सशक्तीकरण में भूमिका निभाई। इससे गरीब बालिकाओं को भी पढऩे का उपयुक्त अवसर मिला।

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ओपन बोर्ड से दिलाई 10वीं व 12वीं की परीक्षा

चर्चा के दौरान एएमआईईडी के सदस्य सचिव नूर मोहम्मद ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि वर्ष 2016 में देखा गया कि 8वीं पास करने के बाद ज्यादातर बालिकाएं 10वीं की बोर्ड परीक्षा में फेल हो रही थी। ऐसी बालिकाओं के राजस्थान ओपन बोर्ड में फोर्म भरवाएं गए और फिर उनकी 10वीं व 12वीं पास कराई गई। ऐसी बालिकाओं की संख्या 35 सौ से अधिक है।

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350 गांवों में दे रहे बालिका शिक्षा को बढ़ावा

Alwar Mewat Institute Of Education And Development (AMIED) के सदस्य सचिव नूर मोहम्मद ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि अभी तक 18 हजार से ज्यादा बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ चुका है। संस्थान अलवर जिले के रामगढ़, उमरैण, मालाखेड़ा, खैरथल जिले के तिजारा व किशनगढ़बास तथा करौली जिले के सपोटरा ब्लॉक में काम कर रहा है। इस तरह 6 ब्लॉकों के 350 गांवों में संस्थान बालिका शिक्षा (Girls Education)  को बढ़ावा दे रहा है।

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100 गांवों में खोले हैं बालिका शिक्षा केन्द्र

अलवर मेवात इंस्टीट्यूट ऑफ एज्युकेशन एण्ड डवलपमेंट के मैम्बर सैकेट्री (Member Secretary, Alwar Mewat Institute of Education and Development) नूर मोहम्मद बताते हैं कि संस्थान के 350 गांवों में से 100 गांवों में बालिका शिक्षा केन्द्र खोले हैं। इन केन्द्रों पर 11 से 18 साल तक ड्रॉपआउट बालिकाओं को पढ़ाया जाता है। इन केन्द्रों पर गांव की ही कम से कम 12वीं पास बालिका को गणित, विज्ञान व अंग्रेजी विषय पढ़ाने का अवसर प्रदान किया जाता है। बालिका शिक्षा केन्द्रों (Girls Education Centre) पर 3 घंटे नियमित पढ़ाने की ऐवज में इन्हें 4 से 5 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय भी दिया जाता है। इससे ऐसी बालिकाओं में आत्मविश्वास बढ़ता है और लीडरशिप के गुण भी पैदा होते हैं। साथ ही वे आत्मनिर्भर भी बनती है। इनमें से कई बालिकाएं खुद की आगे की पढ़ाई में इस राशि का उपयोग करती हैं। इन केन्द्रों पर बालिकाओं को जीवन कौशल की ट्रेनिंग भी दी जाती है ताकि वे अपने शारीरिक विकास, गुड़ टच, बैड टच के बारे में जान और समझ सकें।

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सरकारी स्कूलों में भी लगाते हैं शिक्षक

एएमआईईडी के सदस्य सचिव नूर मोहम्मद बताते हैं कि ज्यादातर गांवों में पर्याप्त शिक्षक नहीं होते हैं। इस कारण गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे कठिन विषयों को पढऩे की समस्या बनी रहती है। इसके समाधान के लिए संस्थान की ओर से सरकारी स्कूलों में कमजोर बच्चों को गणित, विज्ञान व अंग्रेजी विषय पढ़ाने के लिए शिक्षक लगाते हैं। इनमें वे बच्चे भी शामिल होते हैं, जिन्हें यह डर लगा रहता है कि कहीं वे फेल नहीं हो जाए। ऐसे बच्चों को इन विषयों को सीमित कोर्स ही पढ़ाया जाता है, जिसे याद रखने में उन्हें सहुलियत हो जाती है और वे आसानी से परीक्षा में 50 प्रतिशत तक अंक हासिल कर लेते हैं।

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3 से 25 हजार रुपए तक देते हैं स्कोलरशिप

Alwar Mewat Institute of Education and Development के सदस्य सचिव (Member Secretary) नूर मोहम्मद पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि 12वीं पास करने के बाद बालिकाओं को तीन तरह से स्कोलरशिप दी जाती है। इसमें पहली ऐसी बालिकाएं होती हैं, जो उच्च शिक्षा प्राप्त करती हैं। दूसरी ऐसी बालिकाएं होती हैं, जो व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करती है तथा तीसरी वे बालिकाएं शमिल हैं, जो बीएड या फिर एलएलबी आदि करती हैं। ऐसी बालिकाओं को 3 हजार से 25 हजार रुपए तक की स्कोलरशिप प्रदान की जाती है। संस्थान से स्कोलरशिप लेने वाली बालिकाओं की संख्या 240 है। वे बताते हैं कि एक बालिका सीए कर रही है तो 18 बालिकाएं यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं। 10 बालिकाएं सब इंस्पेक्टर की कोचिंग, 68 बालिकाएं एसटीसी, बीएड व नर्सिंग कर रही हैं।

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