By – राजेश खण्डेलवाल
30 October 2024
आजीविका के लिए पिछले कुछ वर्षों में शहरों में लाइब्रेरी खोलने का चलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन राजस्थान के भावली गांव में युवा समय सिंह अवाना नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) चलाकर बच्चों को शिक्षा दान कर रहा हैं। वह चाहता है कि गांव-गांव में देवी-देवताओं के मंदिर की भांति नि:शुल्क लाइब्रेरी (शिक्षा के मंदिर) भी हों ताकि देहाती बच्चों को समुचित मार्गदर्शन मिल सके।
गांव-गांव में खुलें नि:शुल्क लाइब्रेरी
भरतपुर (राजस्थान)। मैंने कम्प्यूटर हार्डवेयर व नेटवर्किंग का कोर्स किया है। वर्ष 2011 में बीए भी कर ली। सरकारी नौकरी पाने के लाख जतन किए, लेकिन समुचित मार्गदर्शन के अभाव में कामयाबी नहीं मिल सकी। यह दंश मैं आज तक झेल रहा हूं। मैं चाहता हूं कि गांव का कोई अन्य बालक-बालिका ऐसा दंश नहीं झेले। इसलिए मैंने खुद के गांव में ही बच्चों के लिए नि:शुल्क लाइब्रेरी खोली।
यह कहना है डीग जिले के नगर उपखण्ड मुख्यालय से मात्र 6 किलोमीटर दूरी पर बसे गांव भावली निवासी युवा इंजीनियर समय सिंह अवाना का। वे पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) खोलने का विचार कोरोनाकाल में आया और वर्ष 2021 में नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) संचालित कर बच्चों को पढ़ाने लगा। शुरूआत कम ही बच्चों से हुई, लेकिन अब 50 से अधिक बच्चे नियमित पढऩे आते हैं।
बातचीत के दौरान समय सिंह पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि सरकारी नौकरी पाने के प्रयास करते-करते उम्र बढऩे लगी तो कमाने के लिए घर-परिवार का दबाव बढऩे लगा। जीवन यापन के लिए कौशल विकास केन्द्रों पर ट्रेनर का काम शुरू किया, जहां परिवार का गुजारा चलाने लायक पारिश्रमिक मिल जाता है, लेकिन कोई अन्य बालक या बालिका को मेरे जैसे हालात का सामना नहीं करना पड़े। इसलिए बच्चों को नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) से जोडकऱ पढ़ाना शुरू किया।
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सोशल मीडिया बनी मददगार
पॉजिटिव कनेक्ट को समय सिंह बताते हैं कि मेरे इस काम में सोशल मीडिया काफी मददगार रहा है। मैं अपने काम को फेसबुक पर पोस्ट करने लगा तो लोगों को वह पसंद आने लगा। फिलहाल 20 से अधिक ऐसे लोग हैं, जो नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) के संचालन की खातिर हर माह एक सौ एक रुपए का दान करते हैं। भरतपुर में कार्यरत गुर्जर समाज के पुलिसकर्मियों ने लाइब्रेरी के लिए 21 हजार रुपए दिए। एक अन्य सज्जन ने 11 हजार रुपए का योगदान दिया। इनसे लाइब्रेरी के लिए फर्नीचर का बंदोबस्त किया जा सका। फरीदाबाद के प्रदीप कुमार चौधरी पारसमणि हर माह बच्चों के लिए बुक, कॉपी, रजिस्टर व अन्य स्टेशनरी भिजवाते हैं। कठूमर (अलवर) में कोचिंग चलाने वाले दौराला गांव के युवा के. जी. यादव को जब भी समय मिलता, तभी वे भावली में बच्चों को सामान्य ज्ञान पढ़ाते हैं।
पीपल के पेड़ से टिनशेड़ तक का सफर
चर्चा के दौरान पॉजिटिव कनेक्ट को समय सिंह बताते हैं कि नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) की शुरूआत पीपल के पेड़ के नीचे की गई थी, जो अब टिनशेड़ में संचालित हैं। वे बताते हैं कि प्रयास के बाद भी गांव में कोई भवन नहीं मिला और मेरे खुद के पास इतना पैसा नहीं था कि पक्का कमरा बनवा सकूं। फिलहाल मैं अकेला ही पढ़ाने वाला हूं। सोशल मीडिया के जरिए कई टीचर, वकील, डॉक्टर, पुलिस व प्रशासनिक अफसर सम्पर्क हैं, जो बच्चों का ऑनलाइन मार्गदर्शन करते रहते हैं। लैपटॉप भी डोनेट में मिला है। बच्चों को पढ़ाने के लिए अब प्रोजेक्टर भी उपलब्ध है।
अन्य गांवों से भी आते हैं बच्चे
युवा समय सिंह पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि बासदौगड़ी (गोविन्दगढ़-अलवर) और दौराला (नगर) गांव से कुछ बालक पढऩे आते हैं। यहां आ रहे 50 से ज्यादा बालकों में 15 बालिकाएं हैं, जिनका अलग से बैच बना रखा है। नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) में बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा (Computer Education) व अंग्रेजी भाषा (English Language) के साथ सामान्य ज्ञान (General Knowledge) भी पढ़ाया जाता है। बालक-बालिकाओं की क्लास शाम को 4 बजे से 6 बजे तक चलाई जाती है।
लड़कियों को बाहर भेजने से कतराते हैं ग्रामीण
ज्यादातर ग्रामीण सामाजिक सुरक्षा की खातिर अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए बाहर भेजने से कतराते हैं। सुमन, पूनम सहित ऐसी कई लड़कियां नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) में आ रही हैं, जो बाहर नहीं जा पाई। इसके लिए उनके अभिभावकों से मुलाकात की और उन्हें लाइब्रेरी भिजवाने के लिए समझाया भी। कई ऐसे बच्चे भी आ रहे हैं, जिनके बचपन में मां या पिता का साया सिर से उठ गया। एक परिवार की तो 7 बहनें नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) में पढऩे आती हैं। अपनी मां को खो देने के बाद गांव में ही रह रही यहां की भांजी भी पढऩे आती है।
खुशी इतनी, बता नहीं सकता
युवा समय सिंह पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि बच्चों की मेहनत और लगन के साथ ही उनमें पैदा हुए आत्मविश्वास को देखकर इतनी खुशी होती है, जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। ज्यादातर बच्चों के बोर्ड परीक्षा में 50 प्रतिशत के आसपास ही अंक आ पाते थे, लेकिन नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) से जुडऩे के बाद कई बच्चों के 12वीं में 80 से 87 प्रतिशत तक अंक आए।
अन्य गतिविधियों से भी जुड़ाव
32 वर्षीय युवा समय सिंह कम्प्यूटर हार्डवेयर व नेटवर्किंग (Computer Hardware And Networking) के साथ ही योग शिक्षा (Yoga Education) के भी ट्रेनर (Trainer) हैं। उनकी नि:शुल्क लाइब्रेरी (Free Library) के माध्यम से बच्चों को केवल शिक्षा से ही नहीं, बल्कि अन्य गतिविधियों से भी जोड़ा जाता है। यहां बच्चों को पर्यावरण व योग शिक्षा भी दी जाती है। गर्मियों में परिंदों के लिए परिण्डे बांधने के साथ ही उनके लिए दाना-पानी का इंतजाम भी कराया जाता है। बारिश के मौसम में पौधरोपण कराते हैं। बच्चों को कई तरह के खेल भी खिलाए जाते हैं।
आगे आएं युवा, सहयोग करें लोग
फरीदाबाद (हरियाणा) में कोचिंग संचालक प्रदीप कुमार चौधरी पारसमणि बताते हैं कि राजस्थान के भावली गांव निवासी युवा समय सिंह से उनकी मुलाकात दो साल पहले एक कार्यक्रम में हुई। बातचीत में उनके काम के बारे में पता चला तो बच्चों के लिए जरूरी बुक, रजिस्टर, कॉपी, स्टेशनरी आदि सामान भिजता रहता हूं। वे पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से जोडऩे जैसे महत्वपूर्ण काम में युवाओं को आगे आना चाहिए। ऐसे काम में लोग भी सहयोग करें तो उसके सार्थक परिणाम मिलना तय है।