By – राजेश जैन
11 November 2024
दुनिया में मात्र 55 लाख की आबादी वाले छोटे से देश फिनलैंड का इनोवेटिव एजुकेशन सिस्टम (Innovative Education System) बेहतरीन है। पूरी दुनिया यहां की शिक्षा व्यवस्था की मुरीद है। यहां भारत की तरह बच्चों को रटाने पर नहीं, बल्कि कांसेप्ट समझाने पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।
फिनलैंड में पढ़ाई : ना परीक्षा की टेंशन, ना होमवर्क
फिनलैंड 55 लाख की आबादी वाला एक छोटा-सा देश है, लेकिन शिक्षा की बात आए तो यहां के इनोवेटिव एजुकेशन सिस्टम का नाम जरूर आता है। पूरी दुनिया यहां की शिक्षा व्यवस्था की मुरीद है। यहां दुनिया के सबसे बेहतरीन स्कूल हैं। इनमें पढ़ाई नि:शुल्क है। रटाने से ज्यादा कांसेप्ट समझाने पर ध्यान अधिक दिया जाता है।
फिनलैंड में साक्षरता दर 99 प्रतिशत से अधिक है। यही नहीं, इसकी 15 वर्ष की आयु के बच्चों की साक्षरता शत-प्रतिशत है। आज यह वैश्विक शिक्षा रैंकिंग में लगातार शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देशों में शुमार है। यहां अकादमिक या व्यावसायिक विद्यालयों से निकले 93 प्रतिशत स्टूडेंट्स स्नातक हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में यह 17.5 प्रतिशत अधिक हैं। फिनलैंड के 66 प्रतिशत स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन हासिल करते हैं, जो यूरोपीय संघ में सबसे अधिक है। वहीं फिनलैंड संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में प्रति छात्र लगभग 30त्न कम खर्च करता है। फिनलैंड के शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय के लिए काम करने वाले एक एक्सपर्ट का कहना है कि हम बच्चों को सिखाते हैं कि कैसे सीखें, परीक्षा कैसे दें? कई स्कूल सिस्टम्स में मैथ और साइंस के अंकों को लेकर छात्र इतने परेशान रहते हैं कि वह भूल जाते हैं कि स्कूल में एक खुशी भरे माहौल में सीखना क्या होता है। यहां का एजुकेशन सिस्टम स्टूडेंट्स को एक अलग तरह की स्वतंत्रता तो देता ही है, साथ में लगातार क्रिएटिविटी के लिए उत्साहित भी करता है। यहां शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों में इंसानियत जगाने, जिम्मेदार नागरिक बनाने और उन्हें जीवन के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करना है। फिनलैंड में प्राइमरी स्कूल से ही वोकशनल ट्रेनिंग पर जोर रहता है। हाई स्कूल हर स्टूडेंट को प्रक्टिकल फाइनेंशियल स्किल सिखाते हैं। मल्टीडिसिप्लिनरी एजुकेशन और फेक्ट बेस्ड शिक्षा पर जोर रहता है। ये सिस्टम उन तमाम देशों को सीख देता है, जो आज भी नंबर रेस, एग्जाम और कंपटीशन में अपने स्टूडेंट को फंसाए रखकर दबाव और तनाव को जगह देते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं फिनलैंड की शिक्षा व्यवस्था क़ी मुख्य विशेषताओं के बारे में-
नि:शुल्क शिक्षा
फिनलैंड में शिक्षा को सभी के लिए समान अधिकार माना जाता है। सरकार शिक्षा पर जीडीपी का 7त्न खर्च करती है। देश के नागरिकों के साथ-साथ यूरोपीय संघ (ईयू) और यूरोपियन इकोनॉमिक एरिया (ईईए) के देशों से आने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी यहां शिक्षा मुफ़्त है। यही नहीं, सरकार स्टूडेंट्स को मुफ्त शिक्षा के साथ-साथ मासिक भत्ता भी देती है। स्कूल में भोजन (ऐसा खाना जो हमारे यहां थ्री स्टार होटल में मिलता है) नि:शुल्क दिया जाता है। स्टडी मेटेरियल मुफ्त मुहैया कराया जाता है। मेडिकल, दांत से जुड़ी समस्याओं के लिए डॉक्टर और मानसिक विकास के लिए साइकोलॉजिस्ट की मदद दी जाती है।
सात साल के बाद शुरू होती है औपचारिक शिक्षा
यदि भारत की बात करें तो नई शिक्षा नीति-2020 में बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा 3 वर्ष से ही प्रारंभ करने की बात कही गई है। फिनलैंड में बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा 7 साल से प्रारंभ होती है। उससे पहले उसे नर्सरी, एलकेजी यूकेजी जैसा कोई कोर्स नहीं करना होता है। इससे बच्चों को स्कूलों में अत्यधिक समय बिताने की बजाए अपने परिवार के साथ बचपन का आनंद लेते हुए सीखने की शुरूआत का मौका मिलता है। बच्चा जब 7 साल का हो जाता है, तब ही उसकी फॉर्मल स्कूलिंग शुरू होती है। इससे पहले हर बच्चे को चाइल्डहुड एजुकेशन दी जाती है। इस शुरुआती शिक्षा का औपचारिक शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं होता है। बस बच्चे की खूब केयर होती है। उसकी हेल्थ और अच्छा इंसान बनाने के संस्कार देने पर जोर रहता है।
नौ साल की स्कूलिंग
फिनलैंड के बच्चों के लिए 9 साल की स्कूलिंग जरूरी है। वे स्कूल में कई भाषाएं सीखते हैं। भाषा को गाने के माध्यम से सिखाया जाता है, जिसके लिए क्लास में सभी तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट मौजूद होते हैं। फिनिश भाषा की शिक्षा स्कूल के पहले ही दिन से शुरू हो जाती है। नौ साल की उम्र तक स्टूडेंट्स, फिनलैंड की दूसरी आधिकारिक भाषा स्वीडिश शुरू करते हैं। 11 की उम्र में वे तीसरी भाषा, जो आमतौर पर अंग्रेजी होती है, सीखना शुरू करते हैं। कई छात्र 13 वर्ष की आयु के आसपास चौथी भाषा भी विकल्प के तौर पर लेते हैं। फिनलैंड में 8वीं क्लास वैकल्पिक है, लेकिन नवीं अनिवार्य है।
रटने से दूरी, कॉन्सेप्ट पर फोकस
हमारे देश में बच्चों को रटने पर जोर दिया जाता है। बच्चे रटकर एक्जाम में लिख देते हैं, लेकिन उनके कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं हो पाते। फिनलैंड इस मामले में अलग है। पढ़ाई का पैटर्न रिसर्च आधारित है। यहां पर प्रायोगिक शिक्षा और कॉन्सेप्ट समझाने पर ज्यादा विशेष जोर दिया जाता है। इसके साथ ही टीम वर्क, सहयोग और कौशल विकसित कर बच्चों को पूरी दुनिया के लिए तैयार किया जाता है। बच्चों के बैठने के लिए बेंच और डेस्क के उपयोग को अनिवार्य नहीं माना जाता, ना ही शिक्षक खुद के लिए टेबल-कुर्सी की जरूरत पर जोर देते हैं। यहां शिक्षकों भी एक्सपेरिमेंट क़ी छूट होती है। वे बच्चों को किसी भी उस तरीके से पढ़ा सकते हैं जिससे उनके लिए पढ़ाई आसान से आसान हो जाए। इसलिए वे किसी खास पैटर्न पर चलने के बजाए बच्चों को सिखाने के लिए नित नए तरीके अपनाते हैं।
तनावमुक्त शिक्षा पर जोर
आमतौर पर बच्चों के लिए स्कूलों का माहौल बोझिल, तनावभरा होता है, लेकिन फिनलैंड में स्कूल केयरिंग और बहुत कम तनाव वाले होते हैं। बच्चे पढऩे में खुशी-खुशी दिलचस्पी लें, इसलिए उन पर ज्यादा रूल-रेगुलेशन नहीं थोपे जाते। बोर ना हो इसलिए उन्हें खाने को दिया जाता है, दूसरी एक्टिविटी करवाई जाती है। 45 मिनट के लंच के अलावा प्रत्येक 45 मिनट से एक घंटे की पढ़ाई के बाद 15-20 मिनट का ब्रेक अनिवार्य है। कुछ पाठ कक्षा के बाहर पढ़ाए जाते हैं। बच्चों को क्लासरूम के अलावा खेल मैदान और प्रकृति के संपर्क में रहने को प्रेरित किया जाता है।
स्कूल में सबसे कम समय गुजारते हैं बच्चे
फिनलैंड में स्कूल के घंटे दूसरे देशों की तुलना में कम हैं। मसलन, यहां प्राइमरी स्कूल के बच्चे को स्कूल में एक साल में सिर्फ़ 670 घंटे ही गुजारने होते हैं, जबकि कोस्टारिका में इसका दोगुना और अमरीका में हर साल हजार घंटे स्कूल में गुजारने होते हैं। हमारे देश में तो यह समय इससे भी अधिक है। फिनलैंड में स्कूल सुबह 09.00 से 09.45 बजे के बीच शुरू होते हैं ताकि बच्चा नींद पूरी करके ही स्कूल आए और खुद को बेहतर फील कर रहा हो। छुट्टी दोपहर 02.00 बजे से 02.45 बजे के बीच होती है।
होमवर्क का बोझ नहीं
भारत में जहां स्कूल में पढ़ाई के बाद बच्चों को ढेर सारा होमवर्क दिया जाता है और अक्सर उसे पूरा करने के लिए महंगे ट्यूशन लेने पड़ते हैं, लेकिन फिनलैंड एक ऐसा देश हैं, जहां ट्यूशन का कल्चर नहीं हैं और ना ही बच्चों को स्कूल में भारी-भरकम स्कूल बैग ले जाने की जरूरत पड़ती है। फिनलैंड के स्टूडेंट्स को होमवर्क नहीं मिलता है और वे लगभग सारा काम स्कूल टाइम में ही पूरा कर लेते हैं।
16 साल की उम्र तक कोई एग्जाम न कम्पटीशन
फिनलैंड में स्टूडेंट्स की क्षमता व योग्यता को अंकों के आधार पर नहीं आंका जाता, ना ही बच्चों के तुलनात्मक विकास पर चर्चा होती है। छात्रों, स्कूलों और संबंधित क्षेत्रों के बीच कोई रैंकिंग, कोई कम्पटीशन नहीं है। यहां के स्कूलों और समाज के लिए आदर्श वाक्य है- असली विजेता स्पर्धा नहीं करते। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि फिनलैंड में हाई स्कूल की परीक्षा से पहले स्टूडेंट के लिए कोई मानक परीक्षा नहीं होती। हाई स्कूल के लिए भी साल के अंत में केवल एक परीक्षा होती है। यहां टीचर बच्चे में यह क्षमता पैदा करते हैं कि वे अपना मूल्यांकन खुद-ब-खुद कर सकें। इससे बच्चे खुद अपनी ग्रोथ और लर्निंग प्रोसेस को लेकर सतर्क रहते हैं।
विज्ञान और गणित में सबसे अच्छे बच्चे
प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट (पीआईएसए) के मुताबिक बाकी मुल्कों की तुलना में फिनलैंड के बच्चे विज्ञान और गणित में अच्छा कर रहे हैं।
साथ-साथ पढ़ते, अमीर और गरीब बच्चे
फिनलैंड में समानता पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है। यहां शिक्षा वह है, जो सामाजिक असमानता दूर करे और संतुलन लेकर आए। स्कूलों में अमीर घरों और वर्किंग क्लास के बच्चे साथ बैठकर पढ़ाई करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि फिनलैंड में शहर और गांव के स्कूलों के बीच शिक्षा और शिक्षकों की गुणवत्ता में किसी तरह का अंतर नहीं होता। दोनों को एक समान शिक्षा हासिल करने का मौका उपलब्ध है। यहां औसतन सभी स्कूल का प्रदर्शन अच्छा है और वे बेहतर स्थिति में हैं। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक फिनलैंड में सबसे कमजोर और सबसे मजबूत छात्रों के बीच का अंतर दुनिया में सबसे कम है।
99 फीसदी बच्चे पढ़ते सरकारी स्कूलों में
फिनलैंड में प्राइमरी शिक्षा प्राइवेट और सरकारी, दोनों स्कूलों में समान है। देश के 99 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। यहां सरकार की तरफ से स्कूलों को स्पष्ट निर्देश हैं कि चंद टॉपर छात्र पैदा कर स्कूल शिक्षा की मार्केटिंग की जगह अपने स्कूल के हर छात्र की तालीम पर ध्यान दें। सबसे कमजोर 30 फीसदी स्टूडेंट्स को शिक्षक नवीं क्लास तक पढ़ाई में अलग से मदद करते हैं। यही कारण है की यहां स्टूडेंट्स को प्राइवेट ट्यूशन की जरूरत ही नहीं पड़ती।
सरकार यहां के स्कूलों को मदद करती है। नेशनल से लेकर लोकल लेवल तक जितने भी स्कूल हैं, उसके प्रभारी सिर्फ एजुकेशन सिस्टम से जुड़े लोग ही हैं। बिजनेस लीडर्स या पेशेवर राजनेताओं का कोई दखल नहीं है। हर स्कूल का एक समान नेशनल टारगेट है और इसे हासिल करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशिक्षित शिक्षकों का एक पूल है।
शिक्षक का ओहदा किसी भी दूसरे पेशे से ऊपर
दुनिया के कई देशों में शिक्षक बनना आसान हो सकता है, लेकिन फिनलैंड में ऐसा नहीं है। फिनलैंड में टीचिंग सबसे सम्मानित प्रोफेशन माना जाता है। यहां सिर्फ टॉप के 10 प्रतिशत ग्रेजुएट्स को ही शिक्षक बनने का मौका मिलता है। इन ग्रेजुएट्स को भी टीचर ट्रेनिंग लेना जरूरी है। इसके अलावा यहां सभी शिक्षकों के लिए मास्टर डिग्री भी अनिवार्य है।
(लेखक कोटा के वरिष्ठ एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)