By – राजेश खण्डेलवाल
01 December 2024
अलवर जिले में 70 से ज्यादा स्कूल भवनों का कायाकल्प करने वाले सहगल फाउण्डेशन (Sehgal Foundation) ने अब 13 स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) बनाई है, जो बच्चों को कम्प्यूटर ज्ञान (Computer Knowledge) देने के साथ ही उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा रही है।
सहगल फाउण्डेशन बच्चों को दिला रहा कम्प्यूटर ज्ञान
अलवर (राजस्थान)। पहले कभी मैंने कम्प्यूटर नहीं देखा था, लेकिन अब कम्प्यूटर को चलाना भी सीख गई हूं। मुझे कम्प्यूटर में फोल्डर बनाना, एमएस वर्ड, पॉवर पॉइंट प्रिजेंटेशन जैसे काम करना आ गया है। और भी बहुत कुछ सीखना अभी जारी है। अलवर जिले के गांव पहाड़ी बास के सरकारी सीनियर स्कूल में पढ़ रही 7वीं कक्षा की छात्रा अलफिजा पुत्री उमरदीन ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया।
अलफिजा बताती है कि स्कूल में अब डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) बन गई है, जिसमें उसने कम्प्यूटर देखा और चलाना सीखा है। वह आगे चलकर जीवन में कुछ बड़ा करने की इच्छा रखती है। यह डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) सहगल फाउण्डेशन (Sehgal Foundation) ने बनाई है।
तकनीकी युग में डिजिटल लाइब्रेरी से बच्चों को कम्प्यूटर के बारे में जानने, समझने और सीखने को मिल रहा है। इंदरगढ़ गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्य पुष्पा मीणा ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया। वे बताती हैं कि डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) बनने से बहुत फायदा हुआ है, जैसे इन दिनों टीचरों की डयूटी परीक्षाओं में लगी है। ऐसे में बच्चों को डिजिटल लाइब्रेरी में बिठा देते हैं, जहां वह उपलब्ध डिजिटल कोर्स से स्वयं पढ़तेे रहते हैं। सहगल फाउण्डेशन (Sehgal Foundation) ने डिजिटल लाइब्रेरी बनाकर बहुत अच्छा काम किया है।
Sehgal Foundation वही है, जिसने अलवर में अनेक स्कूलों की कायापलट करते हुए कक्षा-कक्षों को कहीं हवाई जहाज तो कहीं ट्रेन का स्वरूप दिया। कई जगह शौचालयों को बालवाहिनी का भी रूप दिया गया। इस कारण ये स्कूल दूर से देखने में आकर्षित लगते हैं और इससे स्कूलों में नामांकन भी बढ़ा है। ऐसे स्कूलों की अलवर जिले में ही संख्या 70 से ज्यादा है।
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अलवर जिले के 13 स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी
सहगल फाउण्डेशन के प्रोग्राम लीड अंकित ओझा पॉजिटिव कनेक्ट (positive connect) को बताते हैं कि वर्ष 2021 में अलवर जिले के स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) बनाना शुरू किया। अभी तक 13 स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) बनाई जा चुकी है। इनमें कक्षा एक से आठ, कक्षा एक से दस तथा कक्षा एक से बारहवीं तक के सरकारी स्कूल शामिल हैं।
अलवर : ब्लॉकबार डिजिटल लाइब्रेरी
ब्लॉक का नाम स्कूलों की संख्या
उमरैण 5
मालाखेड़ा 5
किशनगढ़वास 1
रामगढ़ 2
अलवर : इन स्कूलों में बनाई डिजिटल लाइब्रेरी
* राज.उच्च.मा. विद्यालय, साहोड़ी
* राज.उच्च.मा. विद्यालय, महुआ खुर्द
* राज. महात्मा गांधी स्कूल, रोजा का बास
* राज. उच्च.मा. विद्यालय, शाहपुर डेहरा
* राज. महात्मा गांधी स्कूल, कारोली
* राज. महात्मा गांधी स्कूल, पहाड़ी बास
* राज. उच्च.मा. विद्यालय, बझेड़ा
* राज. उच्च.मा. विद्यालय, अहीरबास
* राज. उच्च.मा. विद्यालय, सैंथली
* राज. उच्च.मा. विद्यालय, बगड़ राजपूत
* रा. उच्च प्रा.विद्यालय, नगला चरण
* राज. उच्च.मा. विद्यालय, इंदरगढ़
* राज. उच्च.मा. विद्यालय, हल्दीना
सोलर सिस्टम भी लगाए
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में अंकित ओझा बताते हैं कि हर एक डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) में 10 कम्प्यूटर सैट लगाए हैं। इनके अलावा बड़ी स्क्रीन भी लगाई है ताकि बच्चों को पढऩे में आसानी रहे। वे बताते हैं कि गांवों में बिजली की समस्या रहती है, इसलिए सभी जगह सोलर सिस्टम (Solar System) भी लगाए हैं ताकि बिजली की समस्या पढ़ाई में बाधक नहीं बने। हर लाइब्रेरी में एक कम्प्यूटर ट्यूटर भी सहगल फाण्डेशन (Sehgal Foundation) ने उपलब्ध कराया है, जिस पर स्कूल प्रबंधन के साथ ही ग्रामीणों की कमेटी और फाउण्डेशन के जिम्मेदारों के माध्यम से निगरानी रखी जाती है।
उपलब्ध कराते हैं असीमित कंटेंट
चर्चा के दौरान पॉजिटिव कनेक्ट को सहगल फाउण्डेशन के प्रोग्राम लीड (Program Lead, Sehgal Foundation) अंकित ओझा बताते हैं कि डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) में कक्षा 1 से 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए ऐसा शैक्षिक कंटेंट (Educational Content) उपलब्ध कराया जाता है, जिसे बच्चे सुन और देख कर आसानी से समझ सकें। इतना ही नहीं, प्रतियोगी परीक्षा, उच्च शिक्षा या नौकरी की तैयारी के लिए जरूरी व उपयोगी कंटेंट उपलब्ध कराया जाता है, जो कंटेंट असीमित होता है।
कलक्टर ने सराहा फाउण्डेशन का काम
हाल में ही अलवर की जिला कलक्टर (District Collector, Alwar) डॉ. अर्तिका शुक्ला (Dr. Artika Shukla IAS) ने महुआ खुर्द गांव के स्कूल की डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) के निरीक्षण के दौरान यूपीएससी की तैयारी करने के लिए उपयोगी कंटेंट उपलब्ध कराने की भी बात की, जिस पर काम चल रहा है। जिला कलक्टर ने फाउण्डेशन के काम की सराहना की।
इसी तरह शाहपुर डहरा गांव के स्कूल की डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) में बच्चों ने संस्कृत भाषा का कंटेंट उपलब्ध कराने का आग्रह किया, जो उन्हें उपलब्ध कराया गया। इसके साथ ही कला, साहित्य व स्पोट्र्स से जुड़ा कंटेंट संकलन का काम चल रहा है ताकि वह भी जल्द उपलब्ध कराया जा सके।
बच्चों का बढ़ता है आत्मविश्वास
सहगल फाउण्डेशन के प्रोजेक्ट एसोसिएट (Project Associate, Sehgal Foundation) महादेव शर्मा बताते हैं कि पिछले तीन साल से जिले में डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library) बनाने का काम चल रहा है। इससे जिले में अभी तक एक हजार से ज्यादा बच्चों को कम्प्यूटर के ज्ञान से लाभान्वित किया जा चुका है। वे बताते हैं कि एक युवक डिजिटल लाइब्रेरी से कम्प्यूटर ज्ञान लेकर अब अपना ई-मित्र चला है।
वहीं, सहगल फाउण्डेशन के फील्ड असिस्टेंट (Field Assistant, Sehgal Foundation) दीपक सिंह पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि डिजिटिल लाइब्रेरी के माध्यम से बच्चों को कम्प्यूटर का ज्ञान तो मिल ही रहा है, उनका आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, बच्चों को बोलने में होने वाली झिझक भी दूर हो रही है। कई बच्चों ने यहां से सीखकर अपने परिजनों को पेंशन व मेडिकल जैसी सरकारी योजनाओं से लाभान्वित कराया है।
बच्चों को समझाते हैं जीवन के लक्ष्य तय करना
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अहीरवास में कम्प्यूटर ट्यूटर लगे जितेन्द्र कुमार पॉजिटिव कनेक्ट (Positive Connect) को बताते हैं कि कक्षा 8, 10 व 12 वीं की बोर्ड परीक्षाएं होने के कारण पहले कक्षा 9 व 11 के बच्चों को 6-6 माह के बैच में कम्प्यूटर शिक्षा दी जाती है। साथ ही बच्चों को डिजिटल एण्ड लाइफ स्किल अवेयरनेस के माध्यम से उन्हें जीवन में लक्ष्य निर्धारित व हासिल करना भी बताया जाता है।