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130 बेटियों की शादी कराने वाली किन्नर नीतू मौसी की कहानी

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rajesh khandelwal bharatpur

By – राजेश खण्डेलवाल
03 October 2024

 

सर्व धर्म सामूहिक विवाह : हिन्दु बेटियों के कराती हैं फेरे तो मुस्लिम बेटियों का निकाह
किन्नर नीतू मौसी बताती हैं, भगवान ने यह नेक काम करने की जिम्मेदारी दी, जिसे मैं अंतिम सांस तक निभाना चाहती हूं। मैं कौन हूं, कुछ करने वाली। मैं तो निमित्त मात्र हूं, सब ऊपरवाला कर रहा है। किन्नर नीतू मौसी ने भू्रण हत्या को पाप बताते हुए लोगों से प्रकृति का संतुलन बनाए रखने की अपील की। वे कहती है कि महिला व पुरुष जीवन की गाड़ी के दो पहिए हैं और इनसे ही जीवन चलता है।

भरतपुर (राजस्थान)

सत्तर साल से अधिक उम्र की किन्नर नीतू मौसी पिछले 11 साल से हर साल सर्व धर्म सामूहिक विवाह का आयोजन करती हैं, जिनमें वे 10 गरीब बेटियों की शादी हर साल कराती हैं। इनमें कुछ हिन्दु समाजों की तो कुछ मुस्लिम समुदाय की बेटियां होती हैं। इस तरह किन्नर नीतू मौसी अब तक 130 गरीब बेटियों की शादी अपने निजी खर्चे से करा चुकी हैं।
गंगा-जमुनी संस्कृति की संवाहक बनी किन्नर नीतू मौसी हिन्दु बेटियों के हिन्दु रीति-रिवाज से फेरे कराती हैं तो मुस्लिम बेटियों का उनकी परम्परा के मुताबिक निकाह कराती हैं। 130 बेटियों में 85 हिन्दु समाजों की तो 45 मुस्लिम समुदाय की बेटियां हैं।
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में किन्नर नीतू मौसी बताती हैं कि मैं सभी लड़कियों को एक जैसा सामान उपहार स्वरूप प्रदान करती हूं। इनमें 180 लीटर का फ्रिज, एक दीवान, रजाई-गद्दा व तकिया, गोदरेज की आलमारी, रसोई के लिए आवश्यक 51 बर्तन, एक घड़ी, 5 ग्राम सोना, 130 ग्राम चांदी, कपड़े आदि भेंट करती हूं। वर-वधु पक्ष के 50-50 व्यक्तियों के लिए शादी में नाश्ता-खाना आदि का बंदोबस्त भी करती हूं।
किन्नर नीतू मौसी बताती हैं कि सभी दूल्हों की निकासी मैं अपने घर से विवाह स्थल तक बैण्डबाजों के साथ निकलवाती हूं। वरमाला सहित अन्य सभी रीति-रिवाज निभाती हूं। हिन्दु युवतियों के फेरे तो मुस्लिम युवतियों का निकाह कराती हूं।

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मेरे लिए सभी बेटियां एक समान,  किसे दूं और किसे छोड़ दूं

किन्नर नीतू मौसी पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं, अब तो आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग भी बेटियों का कन्यादान करने सर्व धर्म सामूहिक विवाह समारोह में पहुंचने लगे हैं, लेकिन इसमें उन्हीं लोगों का सामान स्वीकार करती हूं, जो सभी 10 बेटियों को एक जैसा सामान देने में समर्थ हों। अगर कोई 10 से कम सामान लेकर आता है तो उसे हाथ जोडकऱ मना कर देती हूं। इसका कारण यह है कि मेरे लिए सभी बेटियां एक समान हैं, फिर मैं उनमें से किसे सामान दूं और किसे छोड़ दूं। इस दुविधा से बचने के लिए ही यह नियम बनाया और मैं आज भी उसकी सख्ती से पालना कर रही हूं।
किन्नर नीतू मौसी बताती हैं कि मैं रोज भगवान से प्रार्थना करती हूं तो अल्लाह से यह दुआ मांगती हूं कि मेरी अंतिम सांस तक हर साल सर्व धर्म सामूहिक विवाह समारोह हों और मैं 10 बेटियों की शादी करती रहूं।

10 से 15 लाख रुपए का खर्चा आता है हर विवाह समारोह में
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में किन्नर नीतू मौसी बताती हैं कि भरतपुर का आधा शहर उनके हिस्से में है। किसी के घर में लडक़े की शादी होने या किसी के यहां बेटे का जन्म होने पर किन्नर बधाए गाने जाते हैं। पहले मैं खुद भी घर-घर जाकर बधाए गाती थी, लेकिन अब उम्र अधिक होने के कारण मैं खुद तो नहीं जाती, लेकिन मेरी शिष्याएं अब भी जाती हैं। इन घरों से मिलने वाली दक्षिणा (कमाई) में से बचत करके मंै सर्व धर्म सामूहिक विवाह का खर्चा वहन करती हूं। हर साल इसमें करीब 10 से 15 लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। किन्नर नीतू मौसी बताती हैं कि मैं रोज भगवान से प्रार्थना करती हूं तो अल्लाह से यह दुआ मांगती हूं कि मेरी अंतिम सांस तक हर साल सर्व धर्म सामूहिक विवाह समारोह हों और मैं 10 बेटियों की शादी करती रहूं।
‘लडक़ा पसंद करने में मेरी कोई भूमिका नहीं’

किन्नर नीतू मौसी का पॉजिटिव कनेक्ट से कहना है कि रिश्ता बेटी के घर वाले ही तय करते हैं। लडक़ा पसंद करने में मेरी कोई भूमिका नहीं होती। मैं तो सिर्फ शादी कराने की जिम्मेदारी उठाती हूं। इसके लिए गरीब परिवारों से लड़कियों की शादी के प्रस्ताव लिए जाते हैं। हर साल 30-40 आवेदन आते हैं। इनकी निजी स्तर पर यह जांच कराती हूं कि प्राप्त प्रस्ताव बाकई जरूरतमंद है या नहीं। इसके लिए उनके पड़ौसियों से भी जानकारी जुटाई जाती है। उनके घर जाकर भी हालात देखते हैं। इस तरह 10 आवेदनों का चयन कर हर साल देवउठनी एकादशी के बाद नवम्बर या दिसम्बर माह में विवाह समारोह आयोजित किया जाता है।

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‘मैं तो निमित्त मात्र हूं, सब ऊपरवाला कर रहा है’

किन्नर नीतू मौसी बताती हैं, पहले मैं घर-घर जाती थी, तब देखती थी कि कई घरों में आर्थिक विपन्नता के कारण लड़कियों की अधिक उम्र होने के बाद भी शादी नहीं हो सकी है। किसी के घर में कोई कमाने वाला नहीं है या कोई बीमारी व शारीरिक कारणों से कमा पाने में समर्थ नहीं है तो ऐसा देखकर मुझे बहुत पीड़ा होती थी। उस पीड़ा को महसूस किया तो भगवान ने मुझे यह नेक काम करने की जिम्मेदारी दी, जिसे मैं अंतिम सांस तक निभाना चाहती हूं। वे कहती हैं, मैं कौन हूं, कुछ करने वाली। मैं तो निमित्त मात्र हूं, सब ऊपरवाला कर रहा है।
किन्नर नीतू मौसी की शहर में ऐसी कारण खास पहचान बनी है और वे वर्ष 2014 से 2019 तक भरतपुर नगर निगम के वार्ड नम्बर 29 से पार्षद भी रह चुकी हैं।

पूरे रीति-रिवाज भी निभाती हैं किन्नर नीतू मौसी

किन्नर नीतू मौसी बताती हैं कि कई साल पहले उत्तरप्रदेश के आगरा से सुमन अपने बेटे की शादी करते समय भात नौतने आई तो उसने भी रीति-रिवाज से भात भरा। इस तरह वह 4-5 भात भर चुकी है। पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में किन्नर नीतू मौसी बताती हैं कि शादी के बाद कोई भी लडक़ी उससे मिलने आती हैं तो मैं उसे खाली हाथ नहीं लौटाती। मुझसे जितना बन पड़ता है, उतना मैं उसे विदा में जरूर देती हूं।

अब लोगों से मांगना नहीं पड़ता है

किन्नर नीतू मौसी की शिष्या मुस्कान व हिना बताती हैं कि दीपावली के आसपास वे घर-घर बधाए गाने जाती हैं तो लोगों से मांगना नहीं पड़ता, बल्कि लोग खुद ही बधाई दे देते हैं। हम कभी घरों में जाकर ऐसी जिद नहीं करतीं कि हमें इतना ही दो। हमें गर्व है कि हमें नीतू मौसी जैसी किन्नर हमारी गुरू हैं, जो तन-मन और धन से बेटियों की शादी कराती हैं। इसमें शामिल होना हमारे लिए पुण्य व सौभाग्य की बात है।

सिमरन बोली, मेरी मां की शादी नीतू मौसी ने ही कराई

भरतपुर निवासी युवती सिमरन (25) बताती है कि किन्नर नीतू मौसी ने 5 साल पहले मेरी शादी सर्व धर्म सामूहिक विवाह समारोह में कराई। मेरी शादी दौसा जिले में हुई है। सिमरन का कहना है कि मेरी मां रेशमा की शादी भी किन्नर नीतू मौसी ने ही करीब 32 साल पहले बांदीकुई कराई थी, तब नीतू मौसी सामूहिक विवाह समारोह नहीं कराती थी।
सिमरन कहती है कि मैं नीतू मौसी को नानी कहती हूं और जब भी भरतपुर आना होता है तो नानी से बिना मिले नहीं जाती। नानी मुझे उपहार में खूब सामान देती है। इसी तरह किन्नर नीतू मौसी ने भरतपुर की समीना की शादी जयपुर में कराई थी और अब उसकी बेटी अमरीन की शादी भी जयपुर में कराई है।

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नीतू मौसी ने हमें कभी खाली हाथ नहीं आने दिया

भरतपुर की ही युवती कुसुम, हिना, हेमा व प्रेमलता की शादी भी किन्नर नीतू मौसी ने कराई है, जो अब अपने घर-परिवार में खुश हैं। उनका भी कहना है कि जब भी हम किन्नर नीतू मौसी के घर मिलने गए तो मौसी ने हमें कभी खाली हाथ नहीं भेजा।

हिन्दू महिलाओं को ऐसे होती है सहूलियत

पिछले करीब एक दशक से किन्नर नीतू मौसी के सर्व धर्म सामूहिक विवाह समारोह आयोजन से जुड़े शैलेन्द्र उपाध्याय बताते हैं कि समारोह में शहर की अनेक महिलाएं खुद मौके पर उपस्थित होकर युवतियों का कन्यादान करती हैं। वे बताती हैं कि हिन्दू धर्म में महिलाएं 100 लड़कियों का कन्यादान करने का संकल्प लेती हैं, जिसे ऐसे आयोजन में पहुंचकर आसानी से पूरा कर लेती हैं।

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