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keoladeo national park: भरतपुर में घना घूमने वाले पर्यटकों को राहत

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By – राजेश खण्डेलवाल
15 October 2024

भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (keoladeo national park) में नेचर गाइड की अनिवार्यता को राजस्थान की भजनलाल सरकार ने खत्म करके पर्यटकों को राहत दी है। इस पर पर्यटकों के साथ ही होटल संचालकों ने खुशी का इजहार किया है। घना भ्रमण पर नेचर गाइड की अनिवार्यता का नियम गहलोत सरकार ने लागू किया था।
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भजनलाल सरकार ने की नेचर गाइड की अनिवार्यता खत्म

भरतपुर (राजस्थान)। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पिछले दिनों दो दिवसीय दौरे पर भरतपुर आने से पहले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (keoladeo national park) में घूमने आने वाले पर्यटकों को बड़ी राहत दी। दौरे के दौरान वे खुद भी घना पक्षी विहार घूमने गए और पक्षियों को अठखेलियों को निहारा।

भरतपुर आने से पहले ही मुख्यमंत्री शर्मा के निर्देश पर केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान (keoladeo national bird sanctuary) में ई-रिक्शा पर नेचर गाइड की अनिवार्यता को खत्म करने संबंधी आदेश घना प्रशासन को मिल गए। आदेश में एक साल पहले नेचर गाइड की अनिवार्यता वाले नियमों में संशोधन कर पुराने नियमों को ही फिर से लागू कर दिया है। ऐसे में अब उद्यान घूमने आने वाले पर्यटकों की जेब पर कम भार पड़ेगा।

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गहलोत शासन में यह हुआ था संशोधन

5 अक्टूबर, 2023 को घना में ई-रिक्शा के साथ नेचर गाइड की अनिवार्यता का नियम लागू किया गया था। उसके तहत दो घंटे की ट्रिप में एक ई-रिक्शा में अधिकतम 4 पर्यटक बैठ सकते थे। दो घंटे के लिए ई-रिक्शा का शुल्क 800 रुपए और नेचर गाइड का भी शुल्क 800 रुपए रखा था। तीन घंटे की ट्रिप में यह शुल्क 1200-1200 रुपए लगता था। यदि पर्यटक इससे भी ज्यादा समय घूमना चाहता था तो प्रति घंटे 300-300 रुपए अतिरिक्त शुल्क देना होता था। यानी यदि चार पर्यटक ई रिक्शा से तीन घंटे घूमना चाहते थे तो ई-रिक्शा व नेचर गाइड का 2400 रुपए शुल्क और प्रति भारतीय पर्यटक 155 रुपए के हिसाब से 620 रुपए, यानी कुल 3020 रुपए शुल्क देना होता था। लेकिन अब यह शुल्क 4 पर्यटकों पर प्रति तीन घंटे सिर्फ 1820 रुपए लगेगा।
ई-रिक्शा से पहले जब पैडल रिक्शा से पर्यटक घूमते थे, तो दो पर्यटक एक रिक्शा में बैठकर घूम सकते थे। एक रिक्शा का शुल्क तीन घंटे का 600 रखा गया था। ऐसे में पर्यटकों के जेब पर कम भार पड़ता था।

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नियम में संशोधन से यह पड़ा था असर

नेचर गाइड की अनिवार्यता वाले नियम से घना में पर्यटकों की संख्या में 18 फीसदी तक गिरावट आई। पर्यटकों ने घना प्रशासन के साथ ही राजस्थान सरकार को इसकी शिकायतें भी की थी। पर्यटकों का मानना था कि नेचर गाइड अनिवार्यता वाले नियम की वजह से उन्हें घना घूमना ज्यादा महंगा साबित हो रहा है।

आंकड़ों में पर्यटकों की संख्या

वर्ष                         कुल पर्यटक

2020-21                            55,517
2021-22                            94,777
2022 -23                          98,452
2023-24                           81,159

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इनको हुई सबसे ज्यादा समस्या

* कुछ पर्यटक लंबे समय से हर साल घना घूमने आते हैं। उन्हें पक्षियों और घना के बारे में सब कुछ पता है। इसलिए इनको नेचर गाइड की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन अब नियम की वजह से गाइड लेना पड़ रहा है।

* ऐसे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर जो एक-एक सप्ताह के लिए घना घूमने आते हैं। वो हर दिन नेचर गाइड रखना नहीं चाहते, क्योंकि यह उनके लिए बहुत महंगा पड़ता है।

* स्थानीय पर्यटक जो सिर्फ घना घूमना चाहते हैं और वापस चले जाते हैं। उन्हें भी यह नियम महंगा पड़ रहा है।

* नेचर गाइड की अनिवार्यता वाले नियम की वजह से जहां घना के राजस्व पर नकारात्मक असर पड़ा है वहीं यहां के होटल व्यवसाय को भी नुकसान हुआ है। पर्यटन सीजन में भी सितंबर के अंतिम सप्ताह तक पर्यटकों की आशानुरूप बुकिंग नहीं हुई।

कोविड काल से भी कम पर्यटक

केवला देव राष्ट्रीय उद्यान में कोविड के बाद धीरे-धीरे पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने लगा, लेकिन तभी वर्ष 2022 में घना में ई – रिक्शा का संचालन शुरू कर दिया गया। इससे पर्यटकों में थोड़ी खुशी दिखी, लेकिन कुछ समय बाद ही गहलोत सरकार ने नया नियम लागू कर दिया कि ई-रिक्शा के साथ पर्यटकों को एक नेचर गाइड भी अनिवार्य रूप से लेना होगा। इसके लागू होते ही पर्यटकों ने शुल्क का गणित देखा और धीरे धीरे घना से मुंह मोडऩे लगे। यहां तक कि सैकड़ों, हजारों पर्यटक तो घना की टिकट खिडक़ी से शुल्क पता कर बिना घूमे ही लौट गए।

पुराना वाला यह नियम अब फिर से लागू

राज्य की भजनलाल सरकार ने नेचर गाइड की अनिवार्यता वाले नियम को खत्म करते हुए अब 5 अक्टूबर, 2023 से पहले वाले नियम को ही फिर से लागू कर दिया है, जिसके तहत घना में 10 या 10 से अधिक पर्यटकों के समूह को ही नेचर गाइड लेना अनिवार्य होगा। इससे कम पर्यटकों को नेचर गाइड लेना जरूरी नहीं है।

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पर्यटकों के साथ होटल संचालक भी खुश

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शैलेष कौशिक ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि गहलोत सरकार ने जाते-जाते घना में ई-रिक्शा के साथ नेचर गाइड की अनिवार्यता का नियम लागू करके घना भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों की जेब काटने का काम किया था। भाजपा सरकार ने इसकी समीक्षा की और पर्यटकों के हित में फैसला करते हुए गहलोत सरकार के घना भ्रमण पर नेचर गाइड की अनिवार्यता संबंधी नियम को खत्म करने का फैसला किया है। पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में कौशिक ने बताया कि इससे पर्यटकों के साथ ही होटल संचालकों में खुशी है।

घना निदेशक बोले, मिल गए हैं नए आदेश

घना निदेशक मानस सिंह ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि नेचर गाइड की अनिवार्यता वाला नियम सरकार की ओर से लागू किया गया था। हमने पर्यटकों से मिली शिकायतों के आधार पर सरकार को इस नियम की कमियों से अवगत कराया। सरकार ने अब नेचर गाइड की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इसके आदेश हमें मिल भी गए हैं। पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में उन्होंने माना कि सच्चाई यही है कि गत वर्ष घना आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट आई। उसकी एक मात्र वजह नेचर गाइड की अनिवार्यता वाला नियम रहा। यह नियम अब खत्म कर देने से सर्दी के इस सीजन में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। 

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