By – हितेश भारद्वाज
30 December 2024
छोटे बच्चे स्कूल या फिर आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) तक रोते-बिलखते पहुंचते हैं, लेकिन राजस्थान के इस आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) के लिए बच्चे हंसते-खिलखिलाते हुए घर से निकलते हैं। इतना ही नहीं, घर लौटकर बड़े चाव से अपने घरवालों को वह सब कुछ बताते हैं, जो आंगनबाड़ी केन्द्र (Anganwadi Center) पर सीखा होता है। आमतौर पर एक छोटा सा कमरा और उसमें बैठे कुछ नन्ने-मुन्ने नौनिहालों की किलकारी की गूंज ही आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) पहचान होती है, लेकिन इस आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) ने अपने नवाचारों से राष्ट्र स्तर पर विशेष पहचान बनाई है।
घर आकर चाव से बताते हैं आज यह सीखा
अलवर (राजस्थान)। पहले मेरा तीन साल का बेटा अमन आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) के लिए रोते-रोते घर से निकलता, लेकिन अब वह रोजाना हंसता-खिलखिलाता जाता है। उसे ऐसा करते देख हमें भी अच्छा लगता है। देशमेश नगर (रायसिखवास) निवासी प्रेमसिंह ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया। वे बताते हैं कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता का पढ़ाने का तरीका बहुत अच्छा है। बेटा वहां से आकर पूरे दिन होने वाली एक्टिविटी को बताता है, जिससे समझ आता है कि वह आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) में अच्छे से सीख और समझ रहा है। वाट्सएप ग्रुप में नियमित बच्चों की पढ़ाई व अन्य गतिविधियों के वीडियो भी मिलते हैं।
वहीं वार्ड पंच वीरा कौर पॉजिटिव कनेक्ट को बताती है कि मेरी 4 साल की बेटी अवनीत 2 साल से आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) में पढ़ रही है। कार्यकर्ता अनिता इन्हें खेल-खेल में पढ़ाती है, जिससे बच्चे जल्दी सीखते हैं। अवनीत भी खुशी-ख़ुशी घर से जाती है। पूछने पर बेटी बता भी देती है कि पाठशाला में मैडम ने उसे क्या पढ़ाया है। वार्ड पंच वीरा का मानना है कि अन्य आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भी इस तरह ध्यान दिया जाए तो छोटे बच्चे अच्छे तरीके से पढ़ व सीख सकते हैं।
अमन व अवनीत ये दो उदाहरण मात्र हैं। इस आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) पर पहुंचने वाला हर बच्चा घर से रोते हुए नहीं, हंसता हुआ ही निकलता है। इतना ही नहीं, घर लौटकर बड़े चाव से अपने घरवालों को वह सब कुछ बताते हैं, जो आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) पर सीखा होता है।
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ऐसे तैयार हुए अभिभावक
रामगढ़ ब्लॉक के मुबारिकपुर कस्बे के रायसिखवास आंगनबाड़ी केन्द्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता कुमारी पॉजिटिव कनेक्ट को बताती है कि पहली बार मैंने जब आंगनबाड़ी केन्द्र पर अपनी उपस्थिति दी तब गांव वाले केन्द्र को केवल मात्र पोषाहार प्राप्ति और टीकाकरण के लिए ही जानते थे। यहां आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी और ना ही टीएलएम सामग्री थी, जिससे बच्चों को शिक्षा दी जा सके।
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में अनिता कहती है, जनवरी 2022 में केन्द्र पर आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) चलाने के निर्देश मिले, तब मैंने बच्चों को बार-बार केन्द्र पर बुलाने का प्रयास किया, लेकिन घर वाले बच्चों को आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) में भिजवाने को तैयार ही नहीं थे। ऐसी स्थिति में मैंने घर-घर जाकर बच्चों के अभिभावकों से सम्पर्क किया। इस दौरान मैंने उन्हें बच्चों की पूरी सुरक्षा व अच्छी शिक्षा का भरोसा दिलाया।
नवाचार ने बढ़ाया नामांकन
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता कुमारी पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं, आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) की शुरूआत मात्र 5 बच्चों से हुई, जिनकी संख्या अब बढकऱ 37 हो गई है। बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए मैंने नए-नए तरीके अपनाए ताकि बच्चे रुचि लेकर अच्छे से पढ़ सकें। इनमें जैसे कहानी सुनाना, गीत-गानों के माध्यम से पढ़ाना, खेल-खेल में शिक्षा देना, पढ़ाई में डिजिटल टूल्स सहित टीएलएम का सदुपयोग करना आदि शामिल है।
‘रायसिखवास आंगनबाड़ी’ अभिभावकों का वाट्सएप ग्रुप
पॉजिटिव कनेक्ट के साथ बातचीत को आगे बढ़ाते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता कुमारी बताती हैं कि मैंने अभिभावकों का वाट्सएप ग्रुप भी बनाया, जिसका नाम ‘रायसिखवास आंगनबाड़ी’ रखा। इस ग्रुप के जरिए अभिभावकों को बच्चों की प्रतिदिन की गतिविधियां भेजी जाने लगी। यह बात धीरे-धीरे पूरे कस्बे में फैलने लगी। वीडियो में बच्चों की गतिविधियां अभिभावकों को पसंद आने लगी तो वे अपने बच्चों को आंगनबाड़ी पाठशाला (Anganwadi School) में सहर्ष भेजने लगे। पाठशाला में पहले से आ रहे बच्चों को देख नए बच्चे भी हंसी-खुशी आने लगे और उनकी देखा-देखी वह सब कुछ करने लगे, जो पहले वाले बच्चे कर रहे थे।
बच्चों के चेहरे की खुशी मेरे लिए बड़ा सम्मान
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता कुमारी के नवाचारी तरीकों से पढ़ाने के वीडियो और बच्चों की गतिविधियां महिला एवं बाल विभाग (ICDS) व जिला प्रशासन तक भी पहुंची। परिणाम स्वरूप वर्ष 2023 में तत्कालीन जिला कलक्टर पुखराज सेन ने अनिता कुमारी की नवाचारी सोच के लिए जिला स्तर पर सम्मानित किया। वहीं, वर्ष 2024 में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया तो 15 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता कुमारी को उसकी उपलब्धि के लिए सम्मान किया। वहीं स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से लाल किले पर किए गए ध्वजारोहण को देखने का सौभाग्य भी अनिता कुमारी को मिला। कई बार सम्मानित हो चुकी रायसिखवास आंगनबाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता अनिता कुमारी पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं कि बच्चों के चेहरे पर खुशी मेरे के लिए सबसे बड़ा सम्मान है। सम्मानों से मुझे पहचान मिली है तो बच्चों के चेहरों की खिलखिलाहट मुझे सुकून देती है।
ICDS में अलग पहचान
महिला एवं बाल विकास विभाग (ICDS), रामगढ़ की महिला एवं बाल विकास अधिकारी (CDPO) नीलिमा पाठक बताती हैं कि रायसिखवास आंगनबाडी केन्द्र की विभाग में अलग पहचान है, जिसका एक मात्र कारण वहां बच्चों को पढ़ाने के लिए किए गए नवाचार हैं। कार्यकर्ता अनिता को विभाग सहित राष्ट्र स्तर पर भी सम्मान मिला है, जो विभाग के लिए भी गौरव की बात है।
अनिता की मेहनत, समर्पण व निष्ठा सराहनीय
महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मुबारिकपुर के संस्था प्रधान एवं PEEO लीलाराम का कहना है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता कुमारी अपनी मेहनत, समर्पण और निष्ठा भाव से कार्य करती है। अनिता आंगनबाड़ी के नन्हें-मुन्हें बच्चों को तराशने के लिए तकनीक का जबरदस्त ढंग से प्रयोग करती है, जिससे बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं। इनके पढ़ाने के नवाचार वाकई में सराहनीय हैं।