By – राजेश जैन
01 December 2024
ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) गंभीर संक्रामक बीमारी एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) का कारण बनता है। मेडिकल क्षेत्र में नवाचार और कारगर दवाओं के विकास के कारण अब ये संक्रमण लाइलाज तो नहीं रहा लेकिन इसके कारण वैश्विक स्तर पर अब भी हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में दुनियाभर में एचआईवी से संबंधित बीमारियों से लगभग 6.30 लाख लोगों की मौत हो गई। हांलाकि साल 2004 की तुलना में ये 69% कम है, जब 2.1 मिलियन (21 लाख) लोगों की मौत हुई थी।
एचआईवी संक्रमण को लेकर संयुक्त राष्ट्र की ओर से हाल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक साल 1980 के दशक के अंत में इस रोग के बढ़ने के बाद से पहली बार ऐसा हुआ है जब इसके सबसे कम मरीज रिपोर्ट किए गए हैं। यूएन एड्स एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में लगभग 13 लाख लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए। पिछले वर्ष एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या किसी भी समय की तुलना में सबसे कम रही। लेकिन तथ्य यह भी है कि एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरे के रूप में समाप्त करने के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आवश्यक संख्या से यह तीन गुना अधिक है।
एड्स (AIDS) की रोकथाम की दिशा में सफलता जरूर मिली है, लेकिन अभी भी बहुत प्रयास किया जाना बाकी है। इस प्रगति का श्रेय एंटी रेट्रोवायरल उपचारों को दिया जाता है जिसकी मदद से रोगियों में वायरल लोड को कम करने में मदद मिली है। हालांकि चिंताजनक ये है कि दुनियाभर में एचआईवी पीड़ित लगभग चार करोड़ लोगों में से लगभग 93 लाख लोगों को अब भी कोई उपचार नहीं मिल रहा है।
आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र साल 2030 तक AIDS को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरे के रूप में समाप्त करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। एड्स के खतरे के बारे में जागरूकता के उद्देश्य से 1988 में विश्व एड्स दिवस (world AIDS Day) की शुरुआत की गई थी। तब से यह हर साल 1 दिसंबर को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन को दुनिया भर में लोगों को एचआईवी के खिलाफ एकजुट होने और एड्स से जान गंवाने वाले लोगों को याद करने के अवसर के रूप में देखा जाता है।
पहली बार 1980 के आसपास पता चला था
एचआईवी के बारे में दुनिया को पहली बार 1980 के आसपास पता चला था। पहला संक्रमित अफ्रीका के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो की राजधानी किन्शासा में मिला था। यह बीमारी इंसानों में पशुओं से आई। इसके पीछे कारण बताया जाता है कि किन्शासा शहर जंगली पशुओं के मांस का बड़ा बाजार है। माना जाता है कि यहां से पहली बार पीड़ित पशु से खून से यह वायरस इंसानों में पहुंचा। उन दिनों इस इलाके का विकास हो रहा था और बड़ी संख्या में बाहरी पुरूष यहां आते-जाते थे। असुरक्षित सेक्स और संक्रमित सुई से इसका प्रसार काफी तेजी से हुआ। 2004 में एड्स से संबंधित मौतों की संख्या चरम पर थी। 2004 में एड्स से 20 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी। लेकिन 2010 में यह काम होते होते 13 लाख पर पहुंची। तब से लेकर आज तक इस बीमारी के मामलों में दुनियाभर में और अधिक कमी आई है। 2022 के अंत तक लगभग 3.9 करोड़ लोग एचआईवी से पीड़ित थे, जिनमें से दो तिहाई 2.56 करोड़ अफ्रीकी इलाकों में हैं। यूएन का आकलन है कि 2022 में लगभग 6 लाख 30 हजार लोग एड्स से संबंधित बीमारियों से मरे थे।
भारत में यह हैं हालात
जहां तक भारत का सवाल है 1985 में पहली बार चैन्नई में एचआईवी का पता चला था । राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के मुताबिक देश में 24 लाख लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं। इनमें से करीब 80 फीसदी मरीज 15 से 49 साल के हैं । 25 साल पहले यह आंकड़ा इससे कई गुना अधिक था। बीते दो दशकों में भारत में एड्स के मामलों में कमी देखी जा रही है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के मुताबिक भारत में राष्ट्रीय स्तर पर एचआईवी के केस सालाना 40 फीसदी की दर से कम हो रहे हैं। हालांकि कुछ राज्यों में संक्रमण में इजाफा देखा गया है। पंजाब में साल 2010 से 2023 तक एचआईवी के केस करीब 117 फीसदी तक बढ़ गए हैं । इसी दौरान त्रिपुरा में इस वायरस के मामलों में 524 फीसदी, अरुणाचल प्रदेश में 470% और मेघालय में 125 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। इसके पीछे नशे की लत को कारण माना जा रहा है। नशा करने के लिए ए क ही सिरिंज का यूज किया जाता है, युवाओं को यह जानकारी नहीं होती है कि ये सिरिंज एचआईवी संक्रमण का कारण बन सकती है । अगर किसी एक व्यक्ति को एचआईवी है और उसकी यूज की गई सिरिंज को जितने भी लोग इस्तेमाल करेंगे वह संक्रमित हो जाएंगे।
एचआईवी की दवा
हाल के वर्षों में एचआईवी की रोकथाम और उपचार को लेकर कई प्रभावी दवाएं चर्चा में रही हैं। लेनाकेपाविर नामक दवा के प्रारंभिक परीक्षणों में पाया गया कि यह एचआईवी संक्रमण की रोकथाम में 100 प्रतिशत तक प्रभावी है। इस रोग के विरुद्ध लड़ाई में संभावित रूप से विशेषज्ञों ने इसे बड़ा परिवर्तनकारी बताया, हालांकि इसकी कीमत अब भी चिंता का कारण है। अमेरिकी दवा कंपनी कुछ देशों में इस दवा के लिए प्रति व्यक्ति 40,000 डॉलर चार्ज कर रही है।
एचआईवी संक्रमण से बचाव जरूरी
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, एचआईवी और एड्स गंभीर स्वास्थ्य चिंता का कारण रहे हैं। इस बीमारी को लेकर कलंक का भाव इसके इलाज की दिशा में अब भी बाधा है। एचआईवी से बचाव को लेकर सभी लोगों को निरंतर सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। सुरक्षित यौन संबंध, एचआईवी और यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई) के लिए जांच, सुइयों-सिरिंजों या अन्य दवा इंजेक्शन उपकरणों को साझा न करने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले तरीकों को अपनाकर इससे बचाव किया जा सकता है।
एचआईवी के बारे में आम धारणा और सच्चाई
एचआईवी केवल यौन संचारित होता है
आम धारणा है कि एचआईवी केवल यौन संचारित होता है। सही है, असुरक्षित यौन संबंध बनाने या एक से ज्यादा यौन साथी रखने से आपको एचआईवी का खतरा हो सकता है। लेकिन दूषित सुई, सिरिंज, इंजेक्शन लगाने वाले उपकरण और दवा के घोल को शेयर करने से एचआईवी का खतरा बढ़ सकता है। एचआईवी संक्रमित खून, सीरम या टिश्यू ट्रांसप्लांट भी एचआईवी के खतरे में डाल सकता है। क्लैमाइडिया, हर्पीस, गोनोरिया, सिफलिस और बैक्टीरियल वेजिनोसिस जैसे किसी भी अन्य यौन संचारित संक्रमण से पीड़ित होने से एचआईवी/एड्स का खतरा बढ़ सकता है।
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के छूने से फैल सकता है
यह एक और आम मिथक है कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति से छूने से एचआईवी फैल सकता है. हालांकि, एचआईवी आमतौर पर त्वचा के संपर्क जैसे चूमने, गले लगने, हाथ मिलाने, पर्सनल वस्तुओं, भोजन या पानी शेयर करने से नहीं फैलता है। एचआईवी केवल संक्रमित खून, सीरम या अन्य शरीर के तरल पदार्थ खुले घाव या खरोंच के संपर्क में आने पर ही फैल सकता है।
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को पहचानना आसान
यह एक और मिथक है कि संक्रमित व्यक्ति को पहचानना आसान है। लेकिन एचआईवी के लक्षण आमतौर पर इंफेक्शन की स्टेज पर निर्भर होते हैं। शुरुआत में एचआईवी संक्रमण के कोई स्पष्ट लक्षण नजर नहीं आते हैं। बुरी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में एचआईवी इंफेक्शन होने के पहले कुछ महीनों के दौरान सबसे ज्यादा संक्रामक होता है।
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक नहीं जी सकते
यह भी एक मिथक है कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक नहीं जी सकते। लेकिन एंटी रेट्रोवाइरल दवाओं से एड्स का इलाज करने से एड्स की ग्रोथ को रोका जा सकता है। सही इलाज और मैनेजमेंट के साथ एक व्यक्ति कई सालों तक एचआईवी संक्रमण के बाद भी लोग लंबे और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं ।
यदि आपको एचआईवी है तो आप व्यायाम से बच सकते हैं
एचआईवी होने पर व्यायाम आपके स्वास्थ्य की रक्षा करने का एक अच्छा तरीका है। यह थकान को रोक सकता है, आपकी भूख में सुधार कर सकता है, आपके तनाव को कम कर सकता है, आपकी मांसपेशियों को बनाए रख सकता है और आपकी हड्डियों की रक्षा कर सकता है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख कोटा के वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं।)