By – राजेश खण्डेलवाल
28 December 2024
महिला सशक्तीकरण (Women Empowerment) के लिए समर्पित करौली जिले के प्रशांत पाल ने 4700 महिलाओं को अपने प्योर इंडिया ट्रस्ट के माध्यम से विभिन्न व्यवसायों से जोड़ा है। इस तरह ना केवल उन्होंने महिलाओं को अवसर उपलब्ध कराए हैं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति के बीज भी बोए हैं। प्रशांत का मानना है कि जब हम एक महिला को सशक्त बनाते हैं, तो हम एक पूरे समुदाय को सशक्त बनाते हैं। वे ट्रस्ट को मिलने वाली फंडिंग का ज्यादातर हिस्सा महिला उद्यमिता कार्यक्रम पर खर्चते हैं। समाज में उनका सकारात्मक जुड़ाव (positive connect) भी गहरा है।
रोजगार से जोड़ 4700 महिलाओं को बनाया सशक्त
जयपुर (राजस्थान)। जयपुर में रह रहे मूलत: करौली के छोटे से गांव मनोहरपुरा निवासी प्रशांत पाल आज हजारों लोगों के जीवन में बदलाव के नायक बने हैं। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े प्रशांत पाल का महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) के उत्प्रेरक बनने तक का सफर उनकी दूरदृष्टि और दृढ़ संकल्प का नतीजा है। वर्ष 2012 में अन्ना हजारे का आंदोलन प्रशांत पाल के लिए टर्निंग पॉइंट रहा, जिसने उनके जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल दी। विदेश में मोटे पैकेज की नौकरी छोड़ गरीब और असहायों के जीवन में बदलाव लाने की अटूट इच्छा से प्रेरित होकर भारत लौट आए। प्रशांत मानते हैं कि यह उनके लिए आसान निर्णय नहीं था। वे कहते हैं, मैं अपने अंदर की आवाज को अनदेखा नहीं कर पाया, जो पूछती थी, अपने लिए जीने का क्या मतलब है? इस कदम ने ही सामाजिक उद्यमी के रूप में प्रशांत की यात्रा की शुरुआत कराई।
मध्यम वर्ग परिवार में जन्मे 46 वर्षीय प्रशांत पाल शुरूआत से ही सामाजिक कार्य करने की इच्छा रखते थे। एमबीए की पढ़ाई करने के बाद कॉर्पोरेट जगत में पहुंचे तब भी उन्हें सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की चिंता सताती रही। फिलीपींस में एक एमएनसी में सहायक उपाध्यक्ष के रूप में काम करते समय भी उनका ध्यान सामाजिक कार्य करने के उद्देश्य की पूर्ति पर केन्द्रित रहा। प्रशांत पाल ने सामाजिक कार्यों में स्वयंसेवी के रूप में भाग लेना 2006 में ही शुरू कर दिया, जिसमे वे दृष्टिबाधित छात्रों के लिए लेखक का कार्य और उनके कल्याण के कार्य किए।
उन्होंने 100 कॅरियर्स ऑप्शंस (विद्यार्थियों के लिए कॅरियर चयन) व बनो उद्यमी (कम निवेश वाले 51 बिजनेस आइडिया) नामक पुस्तिका भी लिखी हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से एनजीओ स्थापित करने से लेकर फंडिंग प्राप्त करने का मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं।
झुग्गी-झौपडिय़ों में रहवासियों के बीच बिताए कई दिन
विदेश से लौटने के बाद वर्ष 2013 में प्रशांत पाल (CEO, Pure India Trust) ने अपनी पत्नी मेधा नरुका ( President, Pure India Trust) के साथ मिलकर प्योर इंडिया ट्रस्ट की स्थापना की। शुरुआती दिनों में आई चुनौतियों ने प्रशांत को अपनी सामाजिक पहलों के लिए धन जुटाने के लिए दिल्ली में नौकरी करना जारी रखा। उन दिनों को याद करते हुए प्योर इंडिया ट्रस्ट के सीईओ प्रशांत पाल पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं, मैं हर सप्ताह दिल्ली की झुग्गी-झोपडिय़ों में जाता और बस्ती के लोगों की जरूरतों को समझने के लिए उनके बीच रहता। उनके बीच कई दिन बिताए, उनकी समस्याओं को समझा और जरूरतों को पहचाना। वर्ष 2015 में दिल्ली में पहला केंद्र खुला, जहां झुग्गी-झौपडिय़ों के बच्चों को शिक्षा देना शुरू किया और महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई व बुनाई, युवाओं के लिए कंप्यूटर शिक्षा जैसे कौशल का प्रशिक्षण दिया।
- 5000 Self-Reliant Women को अब घर खर्च चलाने की चिंता नहीं
- Global Teacher Prize 2024 किसान का बेटा इमरान खान शॉर्टलिस्ट
- माता-पिता का साया नहीं, orphanage ही इनका घर-परिवार
- Sampoorna Shiksha : बच्चों के विकास में बदलाव की वाहक
- Old Age Home अब यहीं जीवन का असली आनंद
- Whatsapp Group से नेक काम, ऐसे बना जरूरतमंदों का मददगार
- Anganwadi School यहां रोते नहीं, हंसते हुए पहुंचते हैं बच्चे
- Government Primary School यहां पहुंच रहे दूसरे गांव व निजी स्कूलों के बच्चे
- Women Empowerment के नायक प्रशांत पाल की प्रेरक कहानी
- Menstruation Aware कपड़ा नहीं, अब यूज कर रही ऐसे पैड्स
- Watermelon cultivation नवकिरण करेगा तेजवीर को निहाल
- Government School ऐसे बना बदहाली से आदर्श
- Teamwork In School लुभाता है यहां का स्कूल भवन
- Women’s Rights In Rajasthan मधु चारण लड़ रही हक की लड़ाई
- Innovation In Government School फौजी ड्रेस में स्कूली छात्राएं!
- Change Life पति के बाद बेटी की मौत, Teacher माया खींचड का बदला जीवन
- Girls Education in Mewat सही मार्गदर्शन से बदला कोमल का जीवन
- Girls Education in Mewat पढ़ाई संग आत्मनिर्भर बन रही बेटियां
- Girls Education in Mewat छूटी पढ़ाई तो मजदूरी से फीस जुटाई
- Girls Education in Mewat महिलाओं के मन भायी वर्षों बाद पढ़ाई
- Girls Education In Mewat अशिक्षा का दाग धो रही बेटियां
- Girls Education in Mewat अनपढ़ जुम्मी ने बेटी को बनाया जेईएन
- 70 की उम्र में Teaching yoga सेहत की संजीवनी बांट रहे ऋषिकेश
- Girls Education In Mewat ऐसे बढ़ा रहे नूर मोहम्मद
- Unique Restaurant यहां खाना खाने से ज्यादा देखने का क्रेज
- कभी मौत का दूसरा नाम था AIDS, अब कम हो रही बीमारी
- Digital Library ऐसे बढ़ा रही बच्चों का आत्मविश्वास
- Suratgarh CHC: डॉक्टर्स ने ऐसे बदली दशा, मरीजों को सुकून
- Relief To The Disabled : स्वावलंबन फाउंडेशन की अभिनव पहल
- Plantation: बेटी की बीमारी से ऐसे बदली डॉ. पिता की सोच
- Forbes Magazine में सूचीबद्ध Dr. Naveen Parashar की कहानी
- दोनों हाथ नहीं, Writes With His Feet कृष्णा
- खुद के हेलीकॉप्टर से मनीष ने कराई दादी को Helicopter Ride
- नौकरी छोड़ सुनारी के Manish Kumar ने बनाई हेलीकॉप्टर कम्पनी
- इस देश का Education System सर्वाधिक दबावभरा
- इस देश का Education System दुनिया में सबसे श्रेष्ठ
- IT Sector: जैनेन्द्र अग्रवाल दे रहे 200 युवाओं को रोजगार
- यहां के ग्रामीण Classical Music के मुरीद, फिल्मी गानों से परहेज
- Free Library : ग्रामीण युवा समय सिंह कर रहा शिक्षा दान
- Street Dog : कविता सिंह के स्कूटर की डिग्गी ही चलता-फिरता अस्पताल
- Specially Abled Children : संकेतों के साथ दिखा रहे हुनर
- Dragon Fruit की खेती करके आप भी हो सकते हैं मालामाल
- Organic Farming : स्वास्थ्य का फायदा, आय भी ज्यादा
- Hitech Nursery: शोभालाल की शोभा बढ़ा रहे टमाटर व शिमला मिर्च
- knowledge enhancement program: विदेश में नया सीखेंगे युवा किसान
- Bargad Man Teacher : मनाते पौधों का बर्थडे, बांधते रक्षासूत्र
- Journalist Jyoti Sharma ने जलाई कई के जीवन की ज्योत
- हजारों असहायों की सहारा हैं अपनाघर की Babita Didi
- keoladeo national park: भरतपुर में घना घूमने वाले पर्यटकों को राहत
- सरसों की नई किस्में विकसित: बढ़ेगा उत्पादन, तेल भी ज्यादा
- अपनाघर का स्पेशल रेस्क्यू अभियान: ये ‘यहां’ तो वे अपने घर खुश
- Mobile Veterinary Unit पशु बीमार है तो घबराएं नहीं, सिर्फ यह करें
- Special Children part-3 ‘इनकी ’ मुस्कान से हम चिंतामुक्त
- Special Children part-2: ‘ इनसे ’ जुड़कर किस्मत बदल गई
- Special Children : ‘इन्हें’ अनदेखा नहीं, ऐसे प्यार की है दरकार
- बीकानेर की पठानी…देती संदेश, बदलती जिंदगानी
- मृत्युभोज : कब मिलेगा ऐसी कुरीति से छुटकारा
- विकसित भारत : जन भागीदारी से ही होगा सपना साकार
- World Smile Day Special तलाश शुद्ध मुस्कुराहट की!
- Nek Kamai Foundetion ने किया 218 गरीब बेटियों का कन्यादान
- अलख जगाने के नायक बने नागौर के धन्नाराम
- काश! हर गांव को मिल जाए एक ऐसा डॉक्टर
- 130 बेटियों की शादी कराने वाली किन्नर नीतू मौसी की कहानी
5 साल बाद मिली पहली फंडिंग से हुआ विस्तार
वर्ष 2017 में दिल्ली से जयपुर आने से प्योर इंडिया ट्रस्ट का नया अध्याय शुरू हुआ। अपने कॉर्पोरेट अनुभव और नेटवर्क का लाभ उठाते हुए उन्होंने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंडिंग के लिए बड़ी कंपनियों से संपर्क साधा। कंपनियों के सामने अपना विजन पेश किया तो कई नामी कंपनियों को प्रोजेक्ट पसंद आए। वर्ष 2018 में मिली पहली फंडिंग से उन्हें सिलाई सेंटर खोलने और अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों को विस्तार देने में मदद मिली।
इन राज्यों में काम करता है प्योर इंडिया ट्रस्ट
Pure India Trust देश के 16 राज्यों में काम करता है। इनमें राजस्थान के अलावा हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, आसाम, ओडिसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाड़ु, महाराष्ट्र व गुजरात हैं।
प्योर इंडिया ट्रस्ट राजस्थान में यहां
* जयपुर * करौली
* धौलपुर * सवाईमाधोपुर
* सीकर * कोटपुतली
* चित्तौडगढ़़ * बारां
* कोटा * अलवर
* उदयपुर * फलौदी
यह काम करता है प्योर इंडिया ट्रस्ट
प्योर इंडिया ट्रस्ट खासतौर से महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment ) के लिए काम करता है। इसके तहत महिलाओं को उनकी मनपसंद व्यवसाय कराकर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना है। आजीविका सहायता की जरूरत वाले पुरुषों को प्योर इंडिया ट्रस्ट ऑटो रिक्शा और छात्रों को छात्रवृत्ति देता है।
ट्रस्ट के अन्य कार्य
* ग्रामीण विकास के क्षेत्र में आदर्श गांव बनाना।
* इंफोरमेशन एज्यूकेशन सेंटर के रूप में पाठशालाओं का संचालन।
* स्किल व प्रोडक्शन के तहत निर्झरी कार्यक्रम का संचालन।
* करियर गाइडेंस व स्कोलरशिप के रूप में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करना।
* बनो उद्यमी के माद्यम से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जागरूक करना।
* सीएसआर वर्कशॉप के साथ प्योर सोशल इम्पेक्ट अवार्ड प्रदान करना।
* पर्यावरण व स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना।
मेरा गांव-मेरा व्यवसाय
प्रशांत और उनकी पत्नी मेधा को महसूस हुआ कि रोजगार और उद्यमिता के बिना महिलाओं का सशक्तिकरण (Women Empowerment) असंभव है। इससे ही उन्होंने मेरा गांव-मेरा व्यवसाय अभियान शुरू किया। कोरोना जैसी आपदा को भी प्रशांत ने अवसर में बदला और लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के लिए घर से किराने का सामान और मास्क जैसे उत्पाद बेचने का नवाचार किया। इससे न केवल महिलाओं की आमदनी हुई, बल्कि उद्यमिता कार्यक्रम की नींव भी पड़ी।
महिला उद्यमियों के लिए आशा की किरण
प्योर इंडिया ट्रस्ट महत्वाकांक्षी महिला उद्यमियों के लिए आशा की किरण बनकर खड़ा हुआ और 4,700 महिलाओं को स्वरोजगारों से जोडकऱ सशक्त बनाया। इनका सामूहिक वार्षिक कारोबार 30 करोड़ रुपए है। प्रशांत बताते हैं कि हमारा लक्ष्य सिर्फ महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने में मदद करना ही नहीं, बल्कि एनजीओ के माध्यम से सतत निगरानी भी रखते हैं।
टेक्नोलॉजी ने की राह आसान
प्रशांत बताते हैं कि प्योर इंडिया ट्रस्ट ने एक ऐप भी बनाया है, जो महिलाओं को वित्तीय सहायता और व्यावसायिक अवसरों से जोडऩे की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है। इस ऐप के जरिए महिलाएं पंजीकरण कर सकती हैं और उनके लिए एक प्रोफाइल बनाई जाती है, जिसमें महिला कौन है, वह कौन सा व्यवसाय करना चाहती है और उसे कितनी वित्तीय सहायता की आवश्यकता है, जैसी जानकारियां शामिल है। इस डिजिटल समाधान ने राजस्थान और दिल्ली से आगे उनकी पहुंच को आसान बनाया। अब अन्य राज्यों की महिलाएं भी प्योर इंडिया ट्रस्ट से जुडकऱ खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
मिला भामाशाह पुरस्कार
सामाजिक विकास में प्रशांत के योगदान के लिए उदयपुर में हुए राज्य स्तरीय भामाशाह पुरस्कार समारोह में उन्हें सम्मानित किया गया। इसके अलावा भी कई अन्य पुरस्कार मिल चुके हैं। वे बताते हैं कि जब भी मैं किसी महिला को अपना खुद का व्यवसाय शुरू करते हुए, अपने परिवार की वित्तीय मदद करते हुए और अपने समुदाय में दूसरों को प्रेरित करते हुए देखता हूं, तो मुझे पता चलता है कि हम सही रास्ते पर हैं और यही मेरे लिए असली पुरस्कार है।
लक्ष्य 25 हजार महिलाओं को सशक्त बनाना
प्योर इंडिया ट्रस्ट के सीईओ प्रशांत पाल पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि वे वर्ष 2030 तक 25,000 महिलाओं को सशक्त (Women Empowerment) बनाने की इच्छा रखते हैं। उनका लक्ष्य है कि सभी महिला उद्यमियों का संयुक्त कारोबार 1,000 करोड़ रुपए का हो। यह सिर्फ संख्यात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक परिदृश्य में मौलिक बदलाव का द्योतक हो सकेगा और महिलाओं को अपने समुदायों में बदलाव का वाहक बनाएगा।