By – राजेश खण्डेलवाल
24 December 2024
भरतपुर जिले के विजयपुरा गांव के युवा किसान तेजवीर सिंह ने पहली बार नवकिरण तरबूज की खेती (Watermelon Cultivation) की है। 20 बीघे में बोए तरबूज से तेजवीर को खर्चा काटकर करीब 12 लाख रुपए की आमदनी होने की उम्मीद है। पिछले कई साल से तेजवीर 10-12 बीघा में कावली तरबूज बोता था, जिससे 5 से 6 लाख रुपए की कमाई हो जाती थी।
खेती को बनाया आय का जरिया
भरतपुर (राजस्थान)। यूं तो रेड लेडी ताइवानी पपीता पैदा करके नाम कमा चुके युवा किसान तेजवीर सिंह कई साल से तरबूज की खेती (Watermelon Cultivation) कर रहे हैं, लेकिन अब तेजवीर ने पहली बार नवकिरण तरबूज की खेती की है। उनका यह नया प्रयोग कितना कारगर साबित होगा, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन इससे तेजवीर को अपनी आय दुगनी होने का पक्का भरोसा है।
भरतपुर जिले की नदबई तहसील के गांव विजयपुरा निवासी युवा किसान तेजवीर सिंह पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि मैंने कोटा से बेचलर ऑफ वेटनरी साइंस (बी.वी.एससी) की डिग्री की। वर्ष 2018 में ब्लड केंसर से पिता की मौत हो गई। घर के हालात ऐसे रहे कि बाहर जाकर नौकरी करना संभव नहीं था और मेरे परिवार के पास 50 बीघा जमीन है। इसलिए मैंने खेती को ही अपनी आय का जरिया बनाया।
बातचीत में पॉजिटिव कनेक्ट को युवा किसान तेजवीर सिंह ने बताया कि इस बार जिले में अच्छी बारिश हुई थी और खेत निचले इलाके में हैं। इस कारण खेतों में पानी भर गया। इससे मेरी 8 बीघा में रेड लेडी ताइवानी पपीता की पौध गल गई। इससे मुझे करीब 2 लाख का घाटा सहना पड़ा, लेकिन मैंने हौंसला नहीं खोया।
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20 बीघे में बोया तरबूज
युवा किसान तेजवीर पॉजिटिव कनेक्ट को बताया है, करीब 5 वर्ष मैं 10-12 बीघा में कावली 0814 किस्म का तरबूज बोता था। इस बार मैंने 20 बीघा में तरबूज की बुवाई की। 12 बीघा में आज भी कावली 0814 किस्म का तरबूज बोया है तो 8 बीघा में नवकिरण तरबूज की बुवाई की है, जो मेरा नया प्रयोग है और यह पहली बार किया है। वे बताते हैं, मैंने दो किस्म के ही तरबूज बोए हैं। दोनों ही तरह की तरबूजों की गुणवत्ता अच्छी है। इन तरबूजों की मिठास अच्छी होती है और ये क्रंची भी होते हैं।
अगेती फसल से मिलेंगी अच्छी कीमत
आमतौर पर किसान तरबूज की बुवाई रबी फसल लेने के बाद फरवरी या मार्च में करते हैं, लेकिन मैंने तरबूज की बुवाई नवम्बर माह में ही कर दी है। यह उपज मात्र 65 दिन की होती है। इससे मुझे मार्च के शुरूआत में ही तरबूज की पैदावार मिलने लगेगी। चूंकि तरबूज की उपज मेरे यहां अगेती होगी, इससे मुझे इसकी कीमत भी अच्छी मिलेगी। पॉजिटिव कनेक्ट को बातचीत में युवा किसान तेजवीर ने बताया।
ऑर्गेनिक के साथ तकनीक का उपयोग
किसान तेजवीर बताता है कि मैं हर फसल को ऑर्गेनिक तरीके से करता हूं। इससे उसकी गुणवत्ता बेहतरीन होती है। इसके साथ तकनीक का प्रयोग भी करता हूं, जिससे फसल का कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है। तरबूज की खेती में भी मैंने लो-टनल और मल्चिंग विधि अपनाई है। पॉजिटिव कनेक्ट को तेजवीर बताते हैं कि लो-टनल फाइवर का कपड़ा नुमा होता है, जिससे फसल ऊपर से पैक होती है। इससे पौधों को हवा व धूप तो पर्याप्त मिल जाती है पर वह पाला या कोहरा से फसल का बचाव कर देता है और तापमान को नियंत्रित रखता है। इसी तरह मल्चिंग फसल को वैक्टीरिया व खरपतवार से बचाता है। साथ ही जमीन में नमी बनाए रखता है। इससे पानी की खपत कम होती है।
10-12 लोगों को रोजगार भी
विजयपुरा का किसान तेजवीर बताता है कि मैं तरबूज के बीज जयपुर से लाता हूं। इस बार 20 बीघा खेत में तरबूज उपजाने पर करीब 8 लाख रुपए का खर्चा आया है, जिसमें खाद, बीज, लैबर खर्च के साथ तकनीक पर व्यय हुई राशि भी शामिल है। पहले वह 10-12 बीघा में तरबूज से खर्चा काटकर 5-6 लाख रुपए कमा लेता था। इस बार उसे दुगनी कमाई होने की उम्मीद है। तेजवीर बताता है कि वह 10-12 अन्य लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। इससे उनके परिवार भी पल रहे हैं।
भरतपुर मण्डी में ही बिक जाता है तरबूज
विजयपुरा निवासी युवा किसान तेजवीर बताता है कि मार्च में गर्मियों की शुरूआत होते ही तरबूजों की डिमांड आने लगती है। इसलिए मैं नवम्बर-दिसम्बर माह में ही तरबूज की बुवाई कर देता हूं। इससे गर्मियों की शुरूआत में डिमांड के साथ तरबूज उपलब्ध होने लगते हैं। इस तरह मुझे कीमत भी मनचाही मिल जाती है, क्योंकि उस समय किसी तरह का कम्पटीशन नहीं होता है। मेरे यहां पैदा हुआ तरबूज भरतपुर मंडी में ही आसानी से बिक जाता है। कुछ दिल्ली के व्यापारी आकर ले जाते हैं।
कई बार मिला तेजवीर को सम्मान
युवा किसान तेजवीर सिंह को कई बार स्वरोजगार अपनाने और ऑर्गेनिक व आधुनिक खेती करने के लिए उद्यान विभाग सहित कई संगठनों की ओर से जिला व संभाग स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। किसान तेजवीर सिंह का मानना है कि वैज्ञानिक और प्रगतिशील तकनीक अपनाकर किसान अपनी आय तीन से चार गुना तक बढ़ा सकते हैं। मल्चिंग और लो टनल जैसी तकनीकों से लागत नियंत्रित होती है और उत्पादकता में वृद्धि होती है। तेजवीर सिंह ने साबित किया है कि आधुनिक खेती से आर्थिक समृद्धि पाई जा सकती है।