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Girls Education in Mewat महिलाओं के मन भायी वर्षों बाद पढ़ाई

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Girls Education in Mewat

By – राजेश खण्डेलवाल
11 December 2024

राजस्थान के मेवात में बालिका शिक्षा (Girls Education in Mewat) को लेकर महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। पारिवारिक हालातों में पढ़ाई छोड़ चुकी अनेक महिलाएं शादी के लम्बे अंतराल के बाद अब फिर से पढ़ाई में जुटी हैं।
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घर का खर्चा उठाने में भी बन रही मददगार

अलवर (राजस्थान)। आमतौर पर शादी के बाद महिलाएं घर-गृहस्थी में उलझकर रह जाती हैं। ऐसे में उनका पढऩा मुश्किल हो जाता है, लेकिन राजस्थान के मेवात में ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने शादी के बाद भी पढऩे की इच्छा का दफन नहीं होने दिया और मौका मिलते ही अपनी पढऩे की इच्छा को परवान चढ़ाया। इन्हें पढ़ाई छोड़े 3 से 16 साल का लम्बा अंतराल हो गया, लेकिन आज ये महिलाएं अपनी हिम्मत, लगन और मेहनत से पढ़ाने में जुटी हैं।

ये महिलाएं रोजमर्रा के घरेलू कामकाज तो करती ही हैं। खेती-बाड़ी, पशुओं की देखभाल जैसे काम भी संभालती हैं। कई महिलाएं आर्थिक मजबूरियों के कारण दुकान खोलकर घर का खर्चा उठाने में मददगार बनी हैं। इन सबके बीच पढ़ाई के प्रति उनका जज्बा काबिल-ए-तारीफ है।

शादी के कारण पढ़ाई छोडकऱ घर-गृहस्थी में उलझी ऐसी महिलाओं में पढऩे की इच्छा को फिर से बलवती करने में एमिड नामक संस्था जुटी है, जो इन्हें अपने बालिका शिक्षा केन्द्रों से जोडकऱ ओपन बोर्ड से 10वीं व 12वीं पास करा रही है।

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पढ़ाई के साथ दुकान चलाती है अजीता

अलवर के रामगढ़ कस्बे से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर बसा है गांव साहडोली। यहां की अजीता ने 16 साल पहले 8वीं के बाद पढऩा छोड़ दिया, जिसका कारण उसका शादी होना बताया गया। अजीता पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं कि शादी के बाद भी पढऩे का मन तो था, लेकिन पति हुकम का कहना था कि अब पढकऱ क्या करोगी?, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। एक बार एमिड की टीम गांव में आई तो मैंने पढऩे की अपनी इच्छा जाहिर की। टीम सदस्यों ने मेरे पति को समझाया तो वे पढ़ाने को सहमत हो गए। फिर क्या था मेरे तो जैसे पंख ही लग गए। मैंने ओपन बोर्ड से 10 की परीक्षा 57 फीसदी अंकों से पास की और अब 12वीं का फार्म भी ओपन बोर्ड से भरा है और परीक्षा की तैयारी कर रही हूं। पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में अजीता बताती हैं कि मेरे पति हुकम मजदूरी करते हैं, जिससे घर का खर्चा चलाना मुश्किल होता है तो मैंने घर पर ही कॉस्मैटिक के सामान की दुकान भी खोल रखी है। घर के रोजमर्रा के कामकाज के साथ मैं दुकान चलाती हूं और समय बचाकर पढ़ती भी हूं।

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पिता की सेवा के साथ पढ़ाई करती है सबीना

रामगढ़ ब्लॉक के ही गांव साहडोली की सबीना की ससुराल बड़ौदा मेव में है। उसका पति मैजर मजदूरी करता है। सबीना के भाई नहीं है और उसकी मां का इंतकाल हो चुका है। सबीना पॉजिटिव कनेक्ट को बताती है कि बुजुर्ग पिता की सेवा की खातिर वह अपने पति के साथ पीहर में ही रहती है। हम पति-पत्नी दोनों पिता की खेती का कामकाज भी संभालते हैं। उसका कहना है कि घर की परिस्थितियों के कारण मुझे 10वीं की पढ़ाई छोडऩी पड़ी। हालांकि मेरा पढऩे का मन था, लेकिन मजबूरियों ने मुझे विवश कर दिया। पढ़ाई छोड़े 10 साल हो गए, लेकिन पढऩे की इच्छा को मरने नहीं दिया। एक बार एमिड की टीम गांव आई तो उन्होंने मेरे पति व पिता दोनों को समझाया तो पति भी मुझे पढ़ाने को सहमत हो गए। सबीना बताती है कि मैंने ओपन बोर्ड से 12वीं का फार्म भरा और 12वीं पास भी कर ली। सबीना टीचर बनना चाहती है।

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घरेलू कार्यों के बीच पढ़ती है शहनाज

अलवर से 25 किलोमीटर की दूरी पर बसा है गांव बलवण्डका, जहां की शहनाज को पढ़ाई छोड़े 3 साल हो गए। शहनाज पॉजिटिव कनेक्ट को बताती है कि शादी के बाद भी उसका पढऩे का मन था, लेकिन ससुराल वाले पढ़ाने को तैयार नहीं थे पर शहनाज ने हिम्मत नहीं हारी। उसने खुद आगे बढकऱ एमिड संस्था से सम्पर्क साधा तो एमिड की टीम के समझाने के बाद उसका पति कमरदीन पढ़ाने का सहमत हो गया तो शहनाज गांव में बने बालिका शिक्षा केन्द्र पर नियमित पढऩे जाने लगी। शहनाज ने ओपन बोर्ड से 12वीं का फार्म भरा है और वह भी जीवन में कुछ अच्छा करना चाहती है। घरेलू कामकाज से समय निकाल कर शहनाज पढ़ाई भी कर रही है।

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जीवन में कुछ अच्छा करने का विचार

अलवर मेवात शिक्षा एवं विकास संस्थान (AMIED) की शैक्षिक समन्वयक पूनम गुप्ता पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं कि शादी के कारण पढ़ाई छोड़ चुकी करीब 25 महिलाएं एमिड के प्रयासों से फिर से पढऩे लगी हैं। इनमें से कई 10वीं व 12वीं पास कर चुकी हैं। पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में पूनम बताती हैं कि ये महिलाएं भी अब अपने जीवन में कुछ अच्छा करने का विचार रखती हैं।

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