By – राजेश खण्डेलवाल
26 October 2024
पूर्वी राजस्थान के प्रगतिशील किसान नत्थीलाल शर्मा की भांति आप भी ड्रैगन फ्रूट की खेती (Cultivating Dragon Fruit) करके मालामाल हो सकते हैं। पहले नत्थीलाल शर्मा भी परम्परागत तरीके से खेती करते थे। नत्थीलाल उससे होने वाली आय से संतुष्ठ नहीं हुए तो उन्होंने 2 साल पहले अमेरिकन महाद्वीप में पैदा होने वाला ड्रैगन फ्रूट की खेती (Cultivating Dragon Fruit) करने का मन बनाया। एक साल बाद जून माह में इनमें फूल लगना शुरू हो गए और जुलाई से फलों का उत्पादन भी शुरू हो गया।
बेटे के डॉ. दोस्त के फार्म से मिली नई राह
डीग (राजस्थान)। वन विभाग से सेवानिवृत डीग जिले के सांवई गांव निवासी नत्थीलाल शर्मा ने परम्परागत खेती करना शुरू किया, लेकिन उससे होने वाली आमदनी से वे संतुष्ट नहीं हुए तो उन्होंने खेती में ही कुछ नया करने का विचार बनाया। बेटे के डॉ. दोस्त के जोधपुर स्थित ड्रैगन फ्रूट की खेती(Cultivating Dragon Fruit) को देखने से उन्हें नई राह मिली।
इस काम में चुनौतियां कम नहीं थी, लेकिन नत्थीलाल ने तमाम चुनौतियों को स्वीकार करते हुए 2 साल पहले 6 बीघा खेत में ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) के 2800 पौधे लगाए। ड्रैगन फ्रूट की अब उन्हें पहली पैदावार भी मिलने लगी है, जिसकी दिल्ली तक से डिमांड आ रही है। कुछ स्थानीय व्यापारियों ने दिवाली के त्योहार को देखते हुए एडवांस ऑर्डर भी बुक करा दिए हैं।
डीग, भरतपुर, मथुरा आदि क्षेत्र के एक दर्जन से ज्यादा प्रेरित किसानों ने नत्थीलाल शर्मा से सम्पर्क साधा है और ड्रैगन फ्रूट की खेती (Cultivating Dragon Fruit) के बारे में जानकारी ली है।
अब प्रगतिशील किसानों में शामिल नत्थीलाल ने आंध्रप्रदेश, पंजाब, गुजरात और हरियाणा में घूमकर ड्रैगन फ्रूट की खेती ((Cultivating Dragon Fruit)) के बारे में जानकारी की तथा कुछ जानकारी उद्यान विभाग के माध्यम से जुटाई। उन्होंने हैदराबाद व करनाल से पिंक टू पिंक व पिंक टू व्हाइट प्रजाति के ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) के 2800 पौधे मंगाए। पौधों के साथ ही उनके सपोर्ट के लिए प्रत्येक पौधे के लिए सीमेंटेड फ्रेम तैयार कराए। 6 बीघा खेत में ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाने पर करीब 40 लाख रुपए का खर्चा हुआ।
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ड्रैगन फ्रूट ऐसे भरेगा झोली
किसान नत्थीलाल पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि एक ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की साइज 800 ग्राम या उससे भी ज्यादा तक हो जाती है, हालांकि मेरे खेत में अभी फ्रूट की साइज थोड़ी छोटी है। फिर भी प्रति फल 100 से 150 रुपए तक दाम मिल जाते हैं। जब पौधे 4 से 5 साल के हो जाएंगे तो प्रति पौधा पैदावार करीब 25 से 30 किलो तक पहुंच जाएगी। ऐसे में 25 किलो प्रति पौधे के हिसाब से 2800 पौधों पर एक सीजन में 70 टन तक पैदावार होगी, जिससे अच्छी खासी आमदनी होने की उम्मीद है।
रास्ते की बदहाली बनी राह में रोड़ा
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में किसान नत्थीलाल बताते हैं कि रास्ते की बदहाली उनकी राह में सबसे बड़ी रोड़ा बनी हुई है। रास्ता ठीक नहीं होने से आवागमन में दिक्कत होती है। रास्ते में पानी भर जाने से साधनों को निकालने में दिक्कत होती है। इससे आसपास के कई गांवों के ग्रामीण भी दु:खी हैं। वे बताते हैं कि इस संबंध में उन्होंने जिला प्रशासन के साथ ही मुख्यमंत्री जनसुनवाई केन्द्र को अवगत कराया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है।
इसलिए उपयोगी है ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) में विटामिन सी, फाइबर, एंटी आक्सीडेंट, प्रोबायोटिक, सूक्ष्म पोषक तत्व आदि प्रचुरता में पाए जाते हैं, जो स्वस्थ व बीमार के लिए लाभकारी साबित होता है। मधुमेह रोगियों के लिए यह रामबाण है। डेंगू मरीजों में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए इसका उपयोग बहुतायत से किया जाने लगा है। इसका नियमित सेवन से बीमारियों की संभावना कम हो जाती है।
उष्ण कटिबंधीय पौधा है ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की उत्पत्ति मेक्सिको तथा दक्षिण मध्य अमेरिका से हुई है। विश्व में उत्पादन की दृष्टि से वियतनाम पहले स्थान पर है, जो कुल उत्पादन का लगभग 51 प्रतिशत, चीन का उत्पादन लगभग 33 प्रतिशत तथा इंडोनेशिया का हिस्सा 11 प्रतिशत है। इसके बाद थाईलैंड, श्रीलंका एवं मलेशिया आदि देशों में इसका उत्पादन हो रहा है। खेती के लिए उपयुक्त तापमान 20 से 35 डिग्री सेल्सियस होता है।
भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती
फिलहाल भारत में ड्रैगन ड्रैगन फ्रूट की खेती ((Cultivating Dragon Fruit)) लगभग 3 हजार हैक्टेयर में हो रही है। देश में मुख्य रूप से मिजोरम, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान में इसकी खेती हो रही है। क्षेत्रफल की दृष्टि से मिजोरम पहले, गुजरात दूसरे, कर्नाटक तीसरे तथा महाराष्ट्र चौथे स्थान पर है। राजस्थान में पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने राजकीय फर्म ढिंढोल (बस्सी) जिला जयपुर में इसकी शुरुआत कराई।
नवाचार करने ही होंगे किसानों को
संयुक्त निदेशक (उद्यान) योगेश शर्मा ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि खेती को लाभकारी बनाने के लिए परंपरागत फसलों को छोडकऱ किसानों को नवाचार अपनाने होंगे। शर्मा की मेहनत और जज्बा निश्चित रूप से सफलता दिलाएंगे। पॉजिटिव कनेक्ट से चर्चा में वे बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) का पौधा हार्ड स्पीशीज है, इसलिए इसकी ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती। खाद-पानी भी ज्यादा नहीं देना पड़ता। बीमारियां कम आती हैं। एक बार की लागत पर यह पौधा किसान को 35 से 40 साल तक पैदावार देता रहता है।
गुणों से भरपूर है ड्रैगन फ्रूट
डीग के उपनिदेशक (उद्यान) गणेश मीणा ने बातचीत में पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि ड्रेगन फ्रूट (Dragon Fruit) स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह इम्युनिटी बूस्टर की तरह है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह कैंसर जैसी बीमारी से बचाने में भी मददगार साबित हो सकता है। वे बताते हैं कि स्थानीय स्तर के लिए ड्रेगन फ्रूट (Dragon Fruit) की खेती एकदम नई खेती है। पहले साल की पैदा को देखते हुए आने वाले वर्षों में और अधिक आमदनी होगी। यह अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत का काम करेगी।