By – राजेश खण्डेलवाल
20 October 2024
राजस्थान के टीचर नरेन्द्र यादव पौधों का बर्थ-डे मनाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधते हैं। ये बरगद के पौधे रोपते हैं तो कई अन्य नेक काम भी करते हैं। इन कामों पर होने का सारा खर्च ये खुद वहन करते हैं। इन्होंने बरगद के एक लाख पौधे रोपने का संकल्प ले रखा है।
एक लाख बरगद लगाने का संकल्प, 14 हजार 100 लगा चुके
धौलपुर (राजस्थान)। राजस्थान में एक ऐसे भी टीचर हैं, जो खुद के रोपे पौधों का बर्थ-डे ही नहीं मनाते, बल्कि उन्हें रक्षासूत्र भी बांधता है। खास बात यह है कि इनके लगाए सभी पौधे जिंदा हैं। बरगद के एक लाख पौधे लगाने के लिए संकल्पित बरगद मैन टीचर (Bargad Man Teacher) नरेन्द्र यादव अभी तक 14 हजार 100 पौधे लगा चुके हैं। लोग अब इन्हें बरगद मैन के नाम पहचानने लगे हैं। इन्हें यह नाम कई साल पहले धौलपुर के तत्कालीन जिला कलक्टर आर. के. जायसवाल (Retired IAS) ने दिया।
जयपुर के तिगरिया गांव निवासी शिक्षक नरेन्द्र यादव फिलहाल धौलपुर के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, बगचौली लोधा में कार्यरत हैं। बरगद के पौधे लगाते हुए इन्हें 11 साल हो चुके हैं। इस दौरान इन्होंने बरगद के सर्वाधिक 6 हजार पौधे धौलपुर जिले में लगाए हैं, जबकि शेष पौधे राजस्थान के जयपुर, जालौर, जैसलमेर सहित विभिन्न जिलों में रोपे हैं।
ऐसा करने की प्रेरणा इन्हें (Bargad Man Teacher) इनके ही गांव के एक शिक्षक से मिली, जो भी पौधरोपण किया करते थे। उन्हें देखकर इन्हें भी पौधों से लगाव होने लगा। शुरूआती दौर में छोटी-मोटी समस्याएं जरूर आई, लेकिन उनका भी हल इन्होंने निकाल लिया।
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मां भारती को करते हैं समर्पित
बाबा जयगुरुदेव संगत को अपना आदर्श और उनके शिष्य उमाकांत महाराज को अपना प्रेरणास्त्रोत मानने वाले बरगद मैन टीचर (Bargad Man Teacher) यादव बातचीत में पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि वे पौधा लगाकर मां भारती को समर्पित कर देते हैं। इनकी देखभाल के लिए लगाए जाने वाले ट्री गार्ड को तिरंगा के रंग से रंगवाते हैं ताकि लोगों में वृक्ष प्रेम के साथ राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत होती रहे।
आंध्रप्रदेश से मंगाते हैं पौधे
बातचीत के दौरान बरगद मैन टीचर यादव पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि बरगद का छोटा पौधा (10 फीट लम्बा) 500 रुपए, जबकि बड़ा पौधा (12-13 फीट लम्बा) 1450 रुपए का आता है। ये सभी पौधे आंध्रप्रदेश के कडियम पुलंका से मंगाते हैं। सामान्य जमीन में एक पौधा लगाने पर 4 हजार तो पथरीली जमीन पर लगाने में 6 हजार रुपए तक का खर्चा बैठता है। इसमें पौधों के लिए गड्ढ़ा खुदाई, ट्री गार्ड व ट्रांसपोर्टेशन भी शामिल है।
इसलिए लगाते हैं बरगद के ही पौधे
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में बरगद मैन टीचर यादव बताते हैं कि बरगद के पौधे रोपने के पीछे कई कारण हैं, जो निम्न हैं।
* अन्य पेड़ों की उम्र 25 से 30 साल ही होती है, जबकि बरगद की उम्र हजारों साल होती है।
* पीपल का पेड़ ही 24 घंटे ऑक्सीजन देता है, जबकि बरगद का पेड़ 20 घंटे में ही उससे ज्यादा 250 लीटर ऑक्सीजन दे देता है।
* बरगद का पेड़ पक्षियों के लिए सर्वाधिक आरामदेह होता है। बरगद के पेड़ पर 200 पक्षी बसेरा करते हैं।
* बरगद का धार्मिक महत्व होने के कारण लोग इसे काटने से बचते हैं।
* बरगद में पेड़ पर आने वाली गोल से 200 पक्षियों को भोजन भी सहज सुलभ हो जाता है।
* बरगद के पौधे की एक साल के बाद बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है।
* राजस्थान में अकाल जैसे हालत पैदा होते रहते हैं। बरगद का पेड़ अकाल में भी हरा-भरा रहता है। इसी जड़ें आधा किलोमीटर दूर तक जमीन में फैली हुई होती हैं।
* बरगद के पेड़ का आयुर्वेदिक भी महत्व भी होता है। यह कई तरह की दवाएं बनाने के काम आता है।
* बरगद का पेड़ सघन होने के कारण राहगीरों का छाया व सुकून देता है।
वेतन का सिर्फ एक रुपया लेते हैं घर खर्चे में
बरगद मैन टीचर (Bargad Man Teacher) नरेन्द्र यादव हर माह सरकार के मिलने वाले वेतन में से सिर्फ एक रुपया ही अपने घर खर्च में काम में लेते हैं। शेष पूरा वेतन बरगद के पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने में खर्च कर देते हैं। एक सवाल के जवाब में पॉजिटिव कनेक्ट को वे बताते हैं कि घर का खर्चा उनकी धर्मपत्नी निधि यादव की तनख्वाह से चलता है, जो भी धौलपुर में ही सरकारी टीचर हैं।
परिवार का मिलता है भरपूर सहयोग
वे बताते हैं कि उन्हें इस काम में परिवार का भरपूर सहयोग मिलता है। किसान पिता तेजपाल यादव और गृहणी मां कांता देवी के साथ छोटी बहन शिक्षिका सीता यादव भी उनका उत्साह बढ़ाती रहती हैं। जरूरत पडऩे पर ये आर्थिक मदद भी करते रहते हैं।
खोल रखी है शाकाहारी पाठशाला
बरगद मैन टीचर यादव ने धौलपुर में मदन मोहन जी मंदिर के समीप शाकाहारी पाठशाला भी खोल रखी है, जिसमें शिक्षा से वंचित व घुमंतू परिवारों के बच्चों को शिक्षित बना रहे हैं। कई माह से संचालित पाठशाला में करीब 65 बच्चे पढऩे आते हैं। इनमें से करीब 35 बच्चे तो नियमित हैं।
इनके ऐसे-ऐसे नेक काम भी
बरगद मैन टीचर नरेन्द्र यादव सिर्फ बरगद के पौधे ही नहीं रोपते, बल्कि कई अन्य ऐसे नेक काम भी करते हैं, जिनसे उन्हें लोगों की भरपूर दुआएं भी मिलती हैं।
* शिक्षा से वंचित करीब सौ बालिकाओं को शिक्षा से तो जोड़ा ही, उन्हें शिक्षण सामग्री पर खुद ने ही उपलब्ध कराई।
* पक्षियों के परिण्डे बांधते हैं। एक परिण्डे की कीमत 11 सौ रुपए है, जिसमें 14-15 लीटर पानी आता है। पक्षियों के लिए नियमित दाना-पानी का इंतजाम भी खुद ही करते हैं। परिण्डों में पानी टेम्पों से भरा जाता है।
* गोमाताओं के लिए सवा दो सौ लीटर पानी की क्षमता वाली अलग-अलग जगह पर पानी की 24 टंकियां रखवाई हैं, जिन्हें नल कनेक्शन से जुड़वा रखा है।
* लोगों को नशा मुक्त करने की दिशा में भी समय-समय पर प्रयास करते रहते हैं।
मैं भाग्यशाली, नेक व पुण्य काम करा रहा भगवान
बरगद मैन टीचर नरेन्द्र यादव की धर्मपत्नी शिक्षिका निधि यादव पॉजिटिव कनेक्ट को बताती हैं कि इनका संकल्प मेरी शादी से पहले का है। पौधों की देखभाल की खातिर ये सुबह जल्दी ही घर से निकल जाते हैं। कई बार देर शाम को लौटते हैं। शुरूआत के दिनों में कुछ अटपटा सा लगता था, लेकिन अब आदत पड़ गई है। पॉजिटिव कनेक्ट को वे बताती हैं कि मैं भाग्यशाली हूं कि भगवान इनसे नेक व पुण्य काम करा रहा है। कभी ऐसा नहीं लगता कि मेरी तनख्वाह से घर चल रहा है। घर तो ऊपरवाला चला रहा है।
काम व समर्पण को देख किया प्रोत्साहित, दिया बरगद मैन नाम
सेवानिवृत आईएएस आर. के. जायसवाल पॉजिटिव कनेक्ट को बताते हैं कि शिक्षक नरेन्द्र यादव के प्रेरणादायक व अनुकरणीय काम का फीडबैक मिला। उनके स्वप्रेरित व समर्पण भाव को देखते हुए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उन्हें बरगदमैन का नाम दिया था। निश्चित ही एक दिन टीचर यादव का व्यक्तित्व बरगद समान ही होगा। पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में जायसवाल बताते हैं कि पेड़ जीवन का मूल आधार है। लोगों को पौधरोपण के लिए आगे आना चाहिए। समाज भी ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करे।