By – धर्मेन्द्र अदलक्खा
03 October 2024
कोई गरीब कन्यादान की खातिर कर्जदार नहीं हो, इसलिए अलवर में नेक कमाई फाउंडेशन (Nek Kamai Foundetion) ने 2 साल में 218 गरीब बेटियों का कन्यादान किया है। कन्यादान में उसे जरूरत का हर सामान दिया जाता है। गरीब बेटियों के पैर धोकर उनकी पूजा भी की जाती है।
अलवर (राजस्थान)। बेटियां पराया धन हैं तो घर की लक्ष्मी भी। बेटियां हंसती मुस्कुराती रहें, फलती-फूलती आबाद रहें। इसी नेक नियति को अपना मकसद बनाया है अलवर के नेक कमाई फाउंडेशन (Nek Kamai Foundetion) ने।
बेटियों की शादी करना गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए चिंता का सबब बनी रहती है, जिससे उनको नींद तक नहीं आती। ऐसे परिवारों के लिए ही अलवर में नेक कमाई फाउंडेशन (Nek Kamai Foundetion) आगे आया है, जो 2 घंटे की सूचना पर बेटियों को कन्यादान का पूरा सामान उपलब्ध कराता है। यह फाउंडेशन 2 वर्ष में 218 बेटियों के विवाह का पूरा सामान दे चुका है। सारी बेटियां ऐसी होती हैं, जिनके घर में पेट भरने को भोजन तक नहीं होता है। ऐसी बेटियों के भी घर बसाए हैं, जिनके परिवार में एक भी कमाने वाला नहीं है। यह फाउंडेशन साल भर में ढाई सौ से अधिक कार्यक्रम करता है। यानि हर तीसरे दिन कुछ ना कुछ सेवा कार्य होता है।
ऐसे शुरूआत हुई नेक कमाई फाउंडेशन की
कोरोना काल में नेक कमाई फाउंडेशन (Nek Kamai Foundetion) की शुरूआत घरों में झाडू पोचा करने वाली महिलाओं की नौकरी छूटने पर उन्हें राशन किट व अन्य उपयोगी सामान उपलब्ध कराने के साथ हुई। कोरोना के बाद फाउंडेशन ने खुशियों वाला रविवार कार्यक्रम शुरू किया, जिसमेंं प्रत्येक रविवार को फाउंडेशन के लोग किसी भी जरूरतमंद के घर अचानक पहुंचकर उसे उपयोगी सामान देते थे। धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता गया और कन्यादान के साथ सरकारी स्कूलों में संसाधन उपलब्ध करवाना, गर्मियों में शीतल पानी व शर्बत का इंतजाम, सर्दियों में गर्म कपड़ों का वितरण सहित बहुत से कार्य किए, जो अनवरत जारी हैं।
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इस कारण से शुरू किया कन्यादान कार्यक्रम
Nek Kamai Foundetion के मुख्य कोर्डिनेटर अभिषेक तनेजा ने पॉजिटिव कनेक्ट को बताया कि समाज में बेटियों की शादी करना गरीबों के लिए बोझ बन चुका है। ऐसे लोगों की संख्या खूब है, जो कर्ज लेकर बेटियों के हाथ पीले करते हैं। ऐसे ही कारणों से यह कन्यादान कार्यक्रम शुरू किया गया।
वे बताते हैं, पहला कन्यादान वर्ष अगस्त, 2022 में दीवाकरी गांव में किया। जिस बेटी का कन्यादान किया, उसके पिता की असाध्य बीमारी से हालत खराब थी। मां घरों में काम करके परिवार का भरण पोषण कर रही थी। इस बेटी की शादी में करीब 4 लाख रुपए का सामान दिया, जिसमें वाशिंग मशीन, घड़ी सहित घर गृहस्थी से जुड़ा हर सामान था। कन्यादान कार्यक्रम में बेटी को राशन सहित जरूरत का पूरा सामान दिया जाता है, जिसमें सामान की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
कन्यादान करने को आगे आने लगे हैं लोग
Nek Kamai Foundetion की मंजू चौधरी अग्रवाल ने पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में बताया कि कन्यादान कार्यक्रम में शादी वाली बेटी के चरण धोकर उससे आशीर्वाद लिया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। दुल्हन बनने जा रही बेटी के परिजनों को कहा जाता है कि वे यह नहीं बताए कि उन्हें सामान किसी फाउंडेशन की ओर से दिया गया है, बल्कि यह कहें कि यह सामान वे खरीद कर लाए हैं। वे बताते हैं कि इस नेक काम में डॉ. गोपाल रॉय चौधरी ट्रस्ट का शुरू से ही सहयोग रहा है। खानचंद चिमनी बाई हजरती ट्रस्ट सहित कई अन्य संस्थाएं भी अब सहयोग करने के लिए आगे आने लगी हैं। गरीब बेटियों के कन्यादान कार्यक्रम में अब तो सर्व समाज के लोग कन्यादान करने के लिए आने लगे हैं, जिससे साबित होता है कि बेटियां एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की होती हैं।
फाउंडेशन के सदस्य ही देते हैं कन्यादान का सारा सामान
नेक कमाई फाउडेंशन (Nek Kamai Foundetion) के सभी सेवा भावी सदस्य आर्थिक रूप से सक्षम है और उनमें समाज के लिए कुछ अच्छा करने का जज्बा भी है। इस कारण कन्यादान का सामान एकत्रित करने में किसी तरह की कठिनाई नहीं आती है। किसी से कोई चंदा नहीं लिया जाता है। सभी सदस्यों का एक-एक सामान निर्धारित हैं, जो उत्साह से दे भी रहे हैं। इन सेवा भावी सदस्यों में प्रमुुख रूप से आशुतोष शर्मा, सौरभ कालरा, परमजीत सिंह, सोनिका अरोड़ा, मीना तनेजा, उमा बजाज, प्रवीण बत्रा, कुंती अग्रवाल, गुरप्रीत सिंह पवित्र, अदिति गुप्ता, सुरेश गुप्ता, संजय सचेती, मधुबाला मीणा तथा मनोहर झाम आदि शामिल हैं।
ऐसे की जाती है जरूरतमंद की पहचान
फाउंडेशन के सदस्यों के पास जरूरतमंद परिवारों की सूचना आती है, जिसके बाद तीन सदस्यीय टीम जरूरतमंद के घर जाकर सत्यापन करती है। सूचना सही पाए जाने पर शादी वाली बेटी का आधार कार्ड लिया जाता है। इसके बाद विवाह से पहले बेटी और उनके परिजनों को बुलाकर उन्हें शादी का पूरा सामान नि:शुल्क भेंट किया जाता है। प्राथमिकता उनको दी जाती है, जिनके पिता नहीं है या घर में कोई कमाने वाला सदस्य नहीं है। अधिकतर घरों में झाडू पोचा लगाने वाली बच्चियां ही हैं, जिसमें कोई जाति व धर्म नहीं देखा जाता।
बेटियों को ऐसे बनाते हैं स्वावलंबी
पॉजिटिव कनेक्ट से बातचीत में Nek Kamai Foundetion के संरक्षक दौलत राम हजरती बताते हैं कि अलवर शहर में गुरुनानक कॉलोनी व मूर्ति कॉलोनी में महिलाओं के लिए दो सिलाई व अन्य व्यवसायों का प्रशिक्षण देने के लिए सेंटर चल रहे हैं। इनमें गरीब बेटियों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण पर आने वाली बेटियों का विवाह भी किया जाता है।
वे बताते हैं कि बेटियां समाज की सांझा होती है। हमारा फर्ज है कि उसकी विदाई अच्छे तरीके से हो। हम उसको स्वावलंबी बनाने वाला सामान जैसे सिलाई मशीन जरूर देते हैं। ऐसी बेटियों को शादी के बाद भी पढ़ाया जा रहा है और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
हजरती कहते हैं कि बेटियों को स्वावलंबी बनाने के लिए अलवर शहर में एक ऐसा केन्द्र बने, जिसमें बेटियों को सभी मुख्य विषयों में प्रशिक्षण दिया जा सके ताकि बेटियां अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। जो बेटियां पढ़ नहीं पाई, उन्हें पढ़ाया जाए और उनके व्यक्तित्व विकास की कक्षाएं अलग से चलें। इनको प्रशिक्षित कर इन्हें स्वरोजगार दिलाना और उनकी शादी धूमधाम से करने का विचार है। हमारे पास हमेशा बेटियों की शादी के आवेदन पत्र रहते हैं, जिनमें पढ़ी लिखी लड़कियों की भी कमी नहीं है। हमें सरकार की ओर से कोई अनुदान नहीं मिलता है। यदि भामाशाह साथ दे तो हम गरीब बेटियों का प्रशिक्षण केन्द्र बड़े स्तर पर चला सकते हैं।
खाने को रोटी का इंतजाम नहीं था, शादी कैसे करते?
अलवर शहर में हसन खां के समीप कच्ची बस्ती की गाडिय़ा लुहार महिला रामवती पॉजिटिव कनेक्ट को बताती है कि मेरे पति की मौत हो गई और बेटा गैस सिलेंडर से झुलस गया। बेटी की शादी करने की चिंता अलग से सताने लगी। कोई कर्जा तक नहीं देने को तैयार नहीं हुआ। ऐसे बेटी को उसकी नानी के यहां भेज दिया, लेकिन दुर्भाग्य ऐसा कि वहां उसके दो मामा की मृत्यु हो गई। तो फिर उसकी नानी भी चिंता में सूखने लगी। नानी आशा बताती हैं कि मैं और मेरी नवासी घरों में काम करके पेट भरने लगी। ऐसे में नेक कमाई फाउंडेशन (Nek Kamai Foundetion) के सदस्य हमारे लिए भगवान बनकर आए और नवासी की शादी करने के साथ ही उसे घर-गृहस्थी का पूरा सामान दिया। मेरी नवासी अब बहुत खुश है, जिसका श्रेय नेक कमाई को जाता है।